Hindi News

indianarrative

कोरोना के दो अलग-अलग वैक्सीन लगवाने पर क्या हो सकता है आपकी हेल्थ पर असर, यहां देखें पूरी जानकारी

Image Courtesy Google

कोरोना वैक्सीन को लेकर कई लोगों का यह सवाल रहा है कि अगर अलग अलग डोज लग जाए तो फिर क्या होगा। दरअसल, उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति को गलती से दो अलग अलग वैक्सीन लग गई थी, जिसके बाद एंटीबॉडी को लेकर कई सवाल उठने लगे थे। इसी पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगाने के बाद एंटीबॉडी टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। यह सुरक्षित है।

डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि वैक्सीन की दोनों डोज लगाने के बाद एंटीबॉडी टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है और किसी को यह नहीं कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि, यह आश्वस्त करने वाला है कि कोरोना की दूसरी लहर में गिरावट आई है, और यदि समय आने पर प्रतिबंध व्यवस्थित रूप से खोले जाते हैं तो यह आगे भी कायम रहेगा। दूसरी लहर भी अब घट रही है, इस बीच वैक्सीनेशन की दर बढ़ रही है इसे और तेज करना होगा तथा जल्दी ही रफ्तार पकड़ेगी।

डॉ. पॉल ने कहा कि इम्युनिटी मापने का एंटीबॉडी ही अकेला तरीका नहीं है। यह कई तरीकों में से एक है। उन्होंने सेल मीडिएटेड सिस्टम के बारे में बताते हुए कहा कि अगर एंटीबॉडी नहीं भी हैं तो यह सिस्टम बॉडी में डिवेलप होता है। इसमें बॉडी के सेल वायरस को पहचानते हैं और जब वह बॉडी के संपर्क में आते हैं तो बॉडी खुद अपना प्रोटेक्शन हाई कर देती है। उन्होंने कहा कि इसका टेस्ट करना आसान नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि, एंटीबॉडी वक्त के साथ कम होती रहती है। एंटीबॉडी वैक्सीन पर ही निर्भर नहीं है बल्कि उससे पहले बॉडी का कैसा एक्सपोजर है उस पर भी निर्भर करता है। वैक्सीनेशन की जरूरत पर जोर देते हुए वीके पॉल ने कहा कि वैक्सिनेशन के जरिए हम कम्युनिटी के तौर पर भी और इंडिविजुवल प्रोटेक्शन बढ़ा रहे हैं। जब बूस्टर डोज की जरूरत होगी तब बताया जाएगा। इस पर स्टडी चल रही हैं कि क्या वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत है और अगर है तो कब इसकी जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर बूस्टर डोज की जरूरत होगी तो इसके लिए गाइडलाइन बनाई जाएगी।