ओडिशा राजधानी भुवनेश्वर से 287 KM और मयूरभंज जिला मुख्यालय से 82 KM दूर रायरंगपुर के महुलडीहा गांव में चहल-पहल है। करीब 6,000की आबादी वाले इस गांव में हर किसी के चेहरे पर मुस्कान और गर्व साफ झलक रहा है। गांव के चारों तरफ सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त हैं। मंगलवार की शाम तक सामान्य रहने वाले गांव का जोश अब वाकई देखने को बनता है। इसका कारण हैं द्रौपदी मुर्मू। BJP नीत NDA ने जैसे ही उनको राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया, बधाई देने वालों का तांता लग गया।
एनडीए की तरफ से झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। वो आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करेंगी। उन्होंने कुछ समय ओडिशा का रायरंगपुर में एक स्कूल में पढ़ाया भी था जहां वहां के कर्मचारी उन्हें आज भी याद करते है। ऐसे में वहां के कर्मचारियों ने बताया कि वह उन्होंने यहां करीब तीन साल तक शिक्षिका के रूप में काम किया था।रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेल एजुकेशन एंड रिसर्च में 1992से केयरटेकर के रूप में काम कर रहे दिलीप गिरी एकमात्र मौजूदा स्टाफ हैं, जिन्होंने मुर्मू के साथ काम किया था। उन्होंने एक निजी चैनल से बात करते हुए द्रौपदी मुर्मू के साथ अपनी यादें साझा कीं। गिरी ने बताया, वह सभी के साथ सौहार्दपूर्ण थीं। चाहे वह टीचिंग स्टाफ हो या मेरे जैसे नॉन टीचिंग स्टाफ। मैं 1992से एक केयरटेकर के रूप में काम कर रहा हूं।
1994से 1997 तक स्कूल में पढ़ाया
द्रौपदी मुर्मू ने 1994से 1997के बीच इस स्कूल में एक शिक्षिका के रूप में काम किया। 1997में उन्होंने अधिसूचित क्षेत्र परिषद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। एक शिक्षिका के रूप में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में अलग-अलग विषयों को पढ़ाया।
बच्चों को देती थी चॉकलेट
गिरी ने द्रौपदी मुर्मू को याद किया, जो छात्रों को उनके जन्मदिन पर चॉकलेट देती थी और उन्हें भी एक बार दी थी। गिरी ने कहा, वह छात्रों के लिए बहुत प्यारी थीं। छात्रों को उनके जन्मदिन पर चॉकलेट देती थीं, उन्होंने मुझे भी मेरे जन्मदिन 16 फरवरी को चॉकलेट भी दी थी। स्कूल के नॉन टीचिंग स्टाफ ने आगे कहा कि मुर्मू की बेटी भी इसी स्कूल में थी, लेकिन उन्होंने कभी उसके लिए कोई विशेष व्यवहार नहीं किया। गिरी ने बताया कि मुर्मू का व्यवहार सभी छात्रों के साथ एक जैसा था। वो अपनी बेटी और अन्य छात्रों के बीच अंतर नहीं करती थी।