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Corona Update: कोरोना से हाहाकार के बीच DRDO ने भेजी खुशखबरी, 24 घंटे के अंदर मार्किट में आ रही 2-DG दवाई !

photo courtesy Google

कोरोना की कोहराम के बीच हर तरफ हाहाकार है। इस बीच अच्छी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि डीआरडीओ द्वारा तैयार की गई 2-डिओक्सी-डी-ग्लूकोज दवा अब 24 घंटे के अंदर बाजारों में उपलब्ध होने लगेगी। इस दवा की कम से कम 10 हजार डोज मार्केट में आ सकती है। ये दवा एक पाउडर की तरह सैशे में आती है, जिसे आसानी से पानी में घोलकर लिया जा सकेगा। रिसर्च के दौरान पाया गया कि दवा लेने वाले मरीजों का आरटीपीसीआर टेस्ट निगेटिव आया है। इस दवा को डीआरडीओ ने फार्मा कंपनी डॉ रेड्डी के साथ मिलकर बनाया है।

डीआरडीओ का दावा है कि 2-डीजी दवा लेने से बाद मरीज 2 से 3 दिन में ऑक्सीजन सपोर्ट छोड़ देता है। डीआरडीओ के इस दवाई को रक्षा मंत्रालय मंजूरी दे चुका है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पिछले साल अप्रैल 2020 से इस दवाई पर काम चल रहा था। इस दवाई का परीक्षण हैदाराबाद की सेंटर फॉर सेलेल्यूर एंड मोलिक्यूलर बायोलॉजी के साथ किया गया। इस परीक्षण में पाया गया कि सार्स-कोविड-2 वायरस के खिलाफ ये सही काम करता है और वायरल-ग्रोथ को रोकने में कामयाब है।

रिजल्ट को देख ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवाई के फेज-2 क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दे दी। डीआरडीओ ने इसके बाद हैदराबाद की अपनी इंडस्ट्री-पार्टनर, डॉ रेड्डी लैब के साथ मई 2020 से लेकर अक्टूबर तक दूसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल छह बड़े अस्पतालों में किए गए। 11 अस्पतालों में 110 मरीजों पर ये ट्रायल किया गया। सभी ट्रायल में ये पाया गया कि कोरोना से ग्रस्त मरीजों को दूसरे इलाज के मुकाबले से 2डीजी दवाई से ढाई दिन पहले ही राहत मिल रही है।

इन परीणामों के आधार पर डीसीजीआई ने डीआरडीओ को फेज-3 यानि आखिरी चरण के क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत दी, जो दिसम्बर 2020 से शुरू होकर मार्च 2021 तक चले। फेज-3 के ट्रायल कुल 220 मरीजों पर किए गए। ये परीक्षण दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजराज, राजस्थान, आंध्रा-प्रदेश, तेलंगाना, कनार्टक और तमिलनाडु के कुल 27 अस्पतालों में किए गए। इन ट्रायल के परिणाम डीसीजीआई के सामने प्रस्तुत किए गए। इन परिणामों में पाया गया कि जिन कोविड मरीजों को 2डीजी दवाई दी जा रही थी उन्हें ऑक्सीजन देने की जरूरत बेहद कम पड़ रही थी। इसी तरह के परिणाम 65 साल से ज्यादा उम्र वाले कोविड मरीजों में भी देखने को मिले।