<p id="content">प्रतिबंधित उग्रवादी समूह उल्फा (आई) के शीर्ष नेता दृष्टि राजखोवा ने अपने 4 सहयोगियों के साथ मेघालय में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। राजखोवा को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र) यानी उल्फा (आई) के स्व-घोषित 'कमांडर-इन-चीफ' परेश बरूआ का करीबी और विश्वासपात्र माना जाता है।</p>
राजखोवा के 4 सहयोगियों की पहचान एस.एस. कॉर्पोरल वेदांत, यासीन असोम, रोपज्योति असोम और मिथुन असोम के रूप में की गई है। इन सभी ने भारी मात्रा में हथियारों के साथ आत्म-समर्पण किया है। इन्होंने दक्षिण गारो हिल्स में बोल्बोगरे गांव के पास हुई एक छोटी मुठभेड़ के बाद आत्मसमर्पण कर दिया।
भारतीय सेना ने कहा कि यह मेघालय-असम- बांग्लादेश सीमा पर भारतीय सेना की खुफिया एजेंसियों द्वारा तेजी से किया गया और सुनियोजित ऑपरेशन था। राजखोवा अक्सर भारत-बांग्लादेश सीमा पार करता रहा है और कई बार सुरक्षा बलों से बचने में कामयाब रहा है। इस बार उसे बांग्लादेश में जाफलोंग के आसपास देखा गया था। ढाका में पाकिस्तान डिफेंस अटेची ब्रिगेडियर एजाज हाल के महीनों में पूर्वोत्तर के विद्रोही नेताओं के साथ बैठकें कर रहा था।
भारतीय सेना ने कहा, "इनपुट्स की पुष्टि करने के बाद यह ऑपरेशन किया गया, इस पर नौ महीने से लगातार काम चल रहा था।"
दृष्टि राजखोवा लंबे समय से उल्फा विद्रोहियों की मोस्ट वॉन्टेड की सूची में शामिल था। जो निचले असम में आतंकी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं। उसका आत्म-समर्पण भूमिगत संगठन के लिए एक बड़ा झटका है। साथ ही यह इस क्षेत्र में शांति के लिए एक नई सुबह की शुरुआत भी है।.