कोरोना वायरस से निपटने और टीकाकरण की रफ्तार को और तेज करने के लिए केंद्र सरकार अब टेक्नोलॉजी का भी सहारा लेने जा रही है। केंद्र सरकार देश के कठिन और दूरदराज इलाकों में मानव रहित हवाई वाहनों यानी ड्रोन के जरिए कोरोना की वैक्सीन पहुंचाने के लिए एक नई योजना लेकर आई है। जिसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर इच्छुक कंपनिोयं को टेंडर भेज दिए गए हैं।
कोरोना महामारी में टीकाकरण अभियान बड़े स्तर पर चलाया जा रहा है लेकिन इस दौरान देश के कई इलाकें ऐसे हैं जहां पर अभी भी टेके की किल्लत बनी हुई है। इसी तरह की समस्याओं और वैक्सीन को जल्दी पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए इंडिया काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से एचएलएल इन्फ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेड ने शुक्रवार को इस संबंध में अनमैन्ड एरियल व्हीकल या ड्रोन के जरिए वैक्सीन पहुंचाने के लिए निविदाएं भी आमंत्रित की हैं। कंपनी ने आवेदन के लिए प्रपत्र भी जारी कर दिया है।
HLL ने बताया है कि इस यूजना के लिए यूएवी में कौन से स्पेसिफिकेशन होने चाहिए। कंपनी के नोट के मुताबिक, ड्रोन 100 मीटर की ऊंचाई पर कम-से-कम 35 किलोमीटर की हवाई दूसरी तय करने में सक्षण होना चाहिए। इसके अलावा यह कम-से-कम 4 किलोग्राम का वजन उठाने और वापस अपने स्टेशन या केंद्र पर आने में सक्षम होना चाहिए। एचएलएल ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि पैराशूट आधारित डिलिवरी को प्रमुखता नहीं दी जाएगी। यह समझौता 90 दिनों के लिए मान्य रहेगा और यूएवी ऑपरेटर की परफॉर्मेंस के साथ ही अभियान की जरूरत आधार पर इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
बताते चलें कि, दो महीने पहले ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने आईसीएमआर को ड्रोन से कोविड-19 वैक्सीन डिलिवरी करने को लेकर अध्ययन करने के लिए छूट दीथी। ICMR ने इस प्रोजेक्ट के लिए IIT कानपुर के साथ पार्टनरशिप किया है।