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बिहार के DGP का ह्रदय परिवर्तन- नेता न बन सके तो कथावाचक बन बैठे, बोले कथित सदाचारी अफसर से भी अच्छा होता है बिगड़ैल नेता

बिहार के डीजीपी का ह्रदय परिवर्तन

सुशांत सिंह राजपूत काण्ड में एफआईआर दर्ज कर जांच के निर्देश देने वाले डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय आज भी सियासी नेताओं को सरकारी अफसरों से अच्छा मानते हैं। गुप्तेश्वर पाण्डेय ने इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। अब वो कथा वाचक हो गए हैं। कथा वाचन कर वो अपने पुलिस महकमे में रहते हुए किए गए पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने ऐसा कहा नहीं है।

पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने कहा कि ने कहा कि 'मेरे जैसे बढ़िया से बढ़िया कोई अधिकारी, ब्‍यूरोक्रेट हों, वो भी, आप जिसे सबसे खराब नेता मानते हैं उससे अच्‍छा नहीं है। आप जिसे सबसे खराब नेता मानते हैं जो किसी से मिलता-जुलता नहीं, किसी की नहीं सुनता, वो भी ब्‍यूरोक्रेट से सौ गुना अच्‍छा है।' इसकी वजह बताते हुए उन्‍होंने कहा कि ब्‍यूरोक्रेट गलत-सही जो भी नाजायज काम करता है वो अपने लाभ के लिए, अपना गणित, नफा-नुकसान देखकर करता है। वहीं यदि कोई राजनीतिक व्‍यक्ति जिसे आप कुछ गलत करते हुए देखते हैं वो सौ गलत में से 99गलत तो अपने लोगों के लिए करता है। एक राजनेता का दिल बहुत बड़ा होता है। ठीक है अच्‍छे और बुरे लोग हर जगह हैं लेकिन राजनीति करना कठिन काम है।

पूर्व डीजीपी गुप्‍तेश्‍वर पांडे का कहना है कि एक समय ऐसा आता है जब आप जीवन के उद्देश्य को जानना चाहते हैं और ईश्वर को जानना चाहते हैं। मैं कोई अपवाद नहीं हूं। मेरी दिलचस्पी अब भगवान में है और यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ है। जदयू की सदस्यता लेने के बाद धार्मिक सत्‍संग में मन रमा रहे गुप्तेश्वर पांडे ने यहां तक कहा कि मेरे अंदर सफल राजनेता बनने की क्षमता नहीं है। मैं बन सकता तो अब तक बन गया होता। उन्‍होंने कहा ऐसा डीजीपी खोजकर निकालिए जो विधायक का चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से छह महीने पहले इस्तीफा दे। असल में मैं कमजोर वर्ग के साथ खड़े होने के लिए विधायक बनना चाहता था। नहीं हुआ तो इसमें भी भगवान की कोई कृपा रही होगी।