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ये क्या बोल गए कथावाचक गुप्तेश्वर पांडे, बयान पर हो सकता है बवाल, जानें क्या है पूरा मामला

ये क्या बोल गए कथावाचक गुप्तेश्वर पांडे

बिहार के पूर्व DGP ने अपने पद से इस्तीफा देकर जूदयू का दामन थामा था। विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला तो राजनीति से मोह भंग हो गया। अब वो गरुआधारी हो गए है और प्रवचन करते हैं। खाकी उतरते ही उन्हें अब ब्‍यूरोक्रेसी खराब लगने लगी है। इतनी खराब की कि वे अच्‍छे से अच्‍छे ब्‍यूरोक्रेट को भी खराब से खराब नेता से बेहतर मानने को तैयार नहीं हैं। एक वीडियो में गुप्‍तेश्‍वर पांडेय अपने इन्‍हीं भावों का इजहार करते नज़र आ रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि खराब से खराब नेता भी अच्‍छे से अच्‍छे अफसर से 100 अच्‍छा होता है।

पूर्व डीजीपी ने नेताओं की अच्‍छाई की वजह भी बताई। उन्‍होंने कहा कि 'मेरे जैसे बढ़िया से बढ़िया कोई अधिकारी, ब्‍यूरोक्रेट हों, वो भी, आप जिसे सबसे खराब नेता मानते हैं उससे अच्‍छा नहीं है। आप जिसे सबसे खराब नेता मानते हैं जो किसी से मिलता-जुलता नहीं, किसी की नहीं सुनता, वो भी ब्‍यूरोक्रेट से सौ गुना अच्‍छा है।' इसकी वजह बताते हुए उन्‍होंने कहा कि ब्‍यूरोक्रेट गलत-सही जो भी नाजायज काम करता है वो अपने लाभ के लिए, अपना गणित, नफा-नुकसान देखकर करता है। वहीं यदि कोई राजनीतिक व्‍यक्ति जिसे आप कुछ गलत करते हुए देखते हैं वो सौ गलत में से 99 गलत तो अपने लोगों के लिए करता है। एक राजनेता का दिल बहुत बड़ा होता है। ठीक है अच्‍छे और बुरे लोग हर जगह हैं लेकिन राजनीति करना कठिन काम है।

आपको बता दें कि पूर्व डीजीपी गुप्‍तेश्‍वर पांडे आजकल कथावाचक की भी भूमिका में नज़र आते हैं। अपने इस नए अवतार को उनका कहना है कि एक समय ऐसा आता है जब आप जीवन के उद्देश्य को जानना चाहते हैं और ईश्वर को जानना चाहते हैं। मैं कोई अपवाद नहीं हूं। मेरी दिलचस्पी अब भगवान में है और यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ है। जदयू की सदस्यता लेने के बाद धार्मिक सत्‍संग में मन रमा रहे गुप्तेश्वर पांडे ने यहां तक कहा कि मेरे अंदर सफल राजनेता बनने की क्षमता नहीं है। मैं बन सकता तो अब तक बन गया होता। उन्‍होंने कहा ऐसा डीजीपी खोजकर निकालिए जो विधायक का चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से छह महीने पहले इस्तीफा दे। असल में मैं कमजोर वर्ग के साथ खड़े होने के लिए विधायक बनना चाहता था।