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China को भारत की दो टूक, कहा- LAC पर जो भी करना सोच समझ कर करना! क्योंकि, इस बार हम पूरी तरह कर देंगे…

ड्रैगन को भारत की दो टूक

चीन इस वक्त दुनिया के लिए सिर दर्द बना हुआ है। भारत, ताइवान, वियतनाम, टिब्बत, नेपाल, श्रीलंका के अलावा कई और देश हैं जो चीन से परेशान हैं। भारत में तो चीन की दाल नहीं गली उलटा उसे भारतीय जवानों ने ऐसा सबक सिखाया कि वो दूबारा उलझने की सोचेगा नहीं। लेकिन, बाकी के देश इससे कमजोर हैं और ये इसका पूरा फायदा उठाता है। भारत के साथ भी पिछले कुछ समय से चीन के संबंध ठीक नहीं है। गलवान वैली में हुई खूनी संघर्ष के बाद चीन पूरी तरह से बौखलाया हुआ है, क्योंकि, इसमें चीन को भारत के जवानों को करारा झटका दिया था। चीन यहां पर अपना अवैध कब्जा करना चाहता था जिसके चलते दोनों देशों के बीच ऐसे हालात बने। हालांकि, चीन वो देश है जो एक हाथ से दोस्ती करता है तो दूसरे हाथ से पीठ में खंजर घोंपता है। भारत के साथ भी ये यही कर रहा है। एक ओर वो बात कर मामले को सुलझाने के लिए कहता है तो दूसरी ओर वो अपनी गतिविधियों को बढ़ा देता है। ऐसे में एलएसी को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत चीन द्वारा यथास्थिति या वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास की अनुमति नहीं देगा। पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद पर बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन ने 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन करते हुए सीमा पर बड़ी तादाद में सैन्य तैनाती की। उन्होंने कहा कि उसका प्रयास स्पष्ट रूप से एलएसी को एकतरफा रूप से बदलने का था। इसके आगे उन्होंने कहा कि, भले ही हम उस समय कोविड-19 के दौर से गुजर रहे थे, लेकिन एक व्यापक संगठनात्मक व नियोजित प्रयास के माध्यम से, हम वास्तव में एलएसी पर उनका मुकाबला करने में सक्षम थे, जिसके बारे में मुझे लगता है कि कभी-कभी लोगों द्वारा, विश्लेषकों द्वारा, यहां तक कि इस देश में हमारी राजनीति में भी पर्याप्त रूप से इसे मान्यता नहीं दी गई है।

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इसके आगे उन्होंने कहा कि, कुछ लोगों के पास अंतरराष्ट्रीय सीमा के बारे में सामान्य विचार होते हैं। आमतौर पर गश्त बिंदु पर कोई भी तैनाती नहीं होती है और सैनिक सीमावर्ती इलाकों में अंदरुनी क्षेत्रों में होते हैं। जो हुआ, वह इसी का परिणाम था क्योंकि उन्होंने (चीन) अग्रिम इलाकों में तैनाती की थी जो नई थी, और हमने उनके मुकाबले में तैनाती की थी, हमनें भी अग्रिम इलाकों में तैनाती की। यह बेहद खतरनाक था क्योंकि वे बहुत निकट थे। नियमों का पालन नहीं किया गया और फिर, दो साल पहले गलवांन में ठीक वही हुआ जिसकी हमें आशंका थी। स्थिति हिंसक हो गई और लोग हताहत हुए। तब से, ऐसी स्थिति है जहां हम टकराव के बिंदुओं पर बातचीत करते हैं। जब आप कहते हैं कि क्या इसका परिणाम निकला है, तो उनमें से टकराव वाले कई बिंदुओं का मामला सुलझ चुका है।

इसके आगे उन्होंने बताया कि, ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां से वह वापस चले गए हैं और हम भी वापस आ गए हैं। लेकिन हम स्पष्ट हैं कि हम चीन को यथास्थिति को अथवा एलएसी को बदलने के उसके किसी भी एकतरफा प्रयास की अनुमति नहीं देंगे।