किसान आंदोलन को लेकर आज (शनिवार) को दिल्ली की हालत और तंग हो सकती है। ऐसी खबरें मिल रही हैं दो लाख से ज्यादा किसानों ने दिल्ली की ओर कूच शुरू कर दिया है। ये लोग आज शाम से पहले दिल्ली की सीमाओं पर पहु्ंच सकते हैं। लाखों की संख्या में दिल्ली के लिए किसानों के कूच की खबरें मिलते ही भारी संख्या में सुरक्षाबलों को दिल्ली की ओर आने वाले हाईवेज पर तैनात कर दिया गया है।
सरकार के लिए चैन की बात सिर्फ इतनी सी है कि दिल्ली की ओर जो किसान कूच कर रहे हैं वो कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं बल्कि कानूनों का समर्थन करने पहुंच रहे हैं। दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसानों का कहना है कि तीनों कानून किसानों के पक्ष में हैं और कुछ लोगों के दबाव में आकर सरकार कानूनों में तब्दीली न कर दे इसलिए वो भी दिल्ली पहुंच रहे हैं।
ध्यान रहे, प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को छह राज्यों के किसानों से सीधा संवाद किया था। इसके बाद उन्होंने लगभग एक घण्टा 20 मिनट लंबे संबोधन में उन लोगों को ही संबोधित किया था जो किसान कानूनों का विरोध कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि एमएसपी को लेकर शुरू हुआ आंदोलन अब हिंसा के आरोपियों को जेल से छुड़ाने की मांग तक पहुंच गया है। मोदी ने यह सवाल भी उठाया कि किसानों की मांगों को दरकिनार कर दूसरे मुद्दों पर आंदोलन को क्यों शिफ्ट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्षीदल किसान आंदोलन की आड़ में अपने लिए जड़ी-बूटी तलाशने का काम कर रहे हैं। आंदोलन के बहाने इवेंट मैनेजमेंट हो रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वो सारी प्रतिकूल बातों को छोड़कर एक बार आंदोलनकारियों से बातचीत की अपील कर रहे हैं। किसानों के हित में जो भी बातें होंगी उन पर सरकार खुले दिल और दीमाग से बात करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने काफी अध्ययन के बाद किसान कानून बनाए हैं फिर भी अगर संशोधन की आवश्यकता है तो उन्हें भी शामिल किया जाएगा। लेकिन किसानों की जमीन हड़प ली जाएगी, व्यापारी और ठेकेदार किसानों की जमीनों पर कब्जा कर लेंगे- ऐसे भ्रम न फैलाए जाएं। ठेका फसल का होगा, जमीन का नहीं। किसान जब चाहे कॉन्ट्रेक्ट से बाहर आ सकता है। इसके लिए किसानों को कोई पेनाल्टी भी नहीं देनी होगी। लेकिन अगर कॉन्ट्रेक्टर कॉन्ट्रेक्ट तोड़ता है तो वो किसान को पेनाल्टी भरेगा।
प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन के बाद किसानों में कानूनों के समर्थन में एक नई लहर पैदा हो गई है। आंदोलन कर रहे किसान समर्थन भी आंदोलन को खत्म करने पर सोचने लगे हैं तो लाखों लोग किसान कानूनों के समर्थन में दिल्ली कूच करने लगे हैं।.