किसान संगठन अपनी मांगों के समर्थन में सड़कों पर उतरे हैं। इसके पीछे केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर पैदा किये गये भय को प्रमुख कारण बताया जा रहा है। पंजाब और हरियाणा के आंदोलनरत किसानों को आशंका है कि कृषि उपज का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिलता रहा है, वह भी धीरे धीरे मिलना बंद हो जाएगा। इसलिए किसान संगठनों ने <a href="https://hindi.indianarrative.com/krishi/farmer-protests-agriculture-minister-tomar-invites-farmers-talk-19488.html">आंदोलन</a> की घोषणा कर दी है।
आपको बता दें कि बिहार में साल 2006 में कृषि उपज बाजार समिति कानून (APMC Act) रद्द कर दिया था। जिस कारण वर्तमान में धान का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 1900 रुपये है, पर बिहार में किसान 1200 से 1500 रुपये में धान बेचने के लिए मजबूर हैं। किसानों को ऐसी आशंका सता रही है कि केंद्र द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के कारण धीरे-धीरे बिहार के समान ही देश भर में भी किसानों का शोषण प्रारंभ हो जाएगा। इस प्रकार के तमाम आशंकाओं को लेकर केंद्र सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों से आमने-सामने बैठकर बातचीत करने का न्यौता दिया है। हालांकि, इस पर<a href="https://hindi.indianarrative.com/krishi/farmers-protest-against-farmers-bill-2020-reasons-behind-msp-apmc-or-something-else-see-report-19529.html"> किसान संगठनों</a> की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है। वहीं किसान संगठनों की ओर से प्रदर्शन चल रहे हैं।
<img class="aligncenter wp-image-19607 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/govindachary-2.jpg" alt="govindachary" width="1280" height="850" />
<h2><strong>
MSP से कम दाम पर खरीदने को अपराध बनाने वाला कानून शीघ्र बने </strong></h2>
चल रहे किसान आंदोलन को लेकर भाजपा के पूर्व नेता और सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक चिंतक के एन गोविंदाचार्य का कहना है कि किसान संगठनों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग का हम समर्थन करते हैं। साथ ही किसान संगठनों से अपील है कि वे आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाये रखें और लोकतांकत्रिक आधिकारों का उपयोग कर आंदोलन को लोकतांत्रिक तरीकों से ही करें।उन्होंने कहा, हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर खरीदने को अपराध बनाने वाला कानून शीघ्र लाये। इसी प्रकार, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से आग्रह है कि वह अपने ही किसानों पर अनुचित रूप से बलप्रयोग न करे।
<img class="aligncenter wp-image-19608 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/naresh-sirohi.jpg" alt="naresh sirohi" width="1280" height="850" />
<h2><strong>
मंडियों की मौजूदा विसंगतियों को दूर किया जाए: सिरोही</strong></h2>
भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही ने किसानों के आशंका पर कहा कि नये कानून आने के बाद मंडियां भी रहेंगी और उसके बाहर भी खरीद-फरोख्त किया जाएगा। मंडियों में 7-8 फीसद का टैक्स लगता है जो राज्य सरकार को मिलता है। जबकि मंडियों के बाहर जो खरीद-फरोख्त होगा उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। कृषि राज्य सूची का विषय है और मंडियों के टैक्स राज्य सरकार को मिलते हैं। इसलिए राज्यों की ओर से मंडियों में सुधार लाया जा सकता है। ताकि मंडियों की मौजूदा विसंगतियों को दूर किया जाए। इंडिया नैरेटिव से बातचीत में सिरोही ने मंडियों से विसंगतियों को दूर करने के कुछ उपाय सुझाए जो इस प्रकार हैं-
<ul>
<li><strong>मंडियों में भी कोई टैक्स नहीं लगे </strong></li>
<li><strong>आढ़तियों की ओर से खेतों से उपज खरीदने की व्यवस्था बने </strong></li>
<li><strong>किसानों को क्रेडिट सुविधा उपलब्ध कराया जाए</strong></li>
</ul>.