किसानों की मांगों के नाम पर दिल्ली को घेरकर बैठे संगठनों ने जिस <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/bharat-bandh-political-parties-and-social-organisation-supports-blindly-20633.html"><strong><span style="color: #000080;">भारत बंद</span></strong></a> का आह्वान किया था, उसको भारी झटका लगा है। कई बड़े संगठनों और किसानों ने भारत बंद से कन्नी काट ली है। कुछ संगठनों भारत बंद को लेकर मतभिन्नता आ गई है। ट्रांसपोर्ट संघ ने भारत को पूर्ण समर्थन का ऐलान किया था, लेकिन 7 तारीख की शाम तक ट्रांसपोर्ट संघ के अधिकांश सदस्यों ने भारत बंद से पल्ला झाड़ लिया। इसी तरह किसान संगठन तो सिर्फ नाम के लिए इस बंद में शामिल हो रहे हैं क्यों कि वो भी धरने-प्रदर्शन में शामिल हो गए थे। अगर अब वो वापस जाते हैं तो उनकी किसान राजनीति पर असर पड़ सकता है।
सोमवार को पंजाब-हरियाणा के एक बड़े संगठन के नेताओं ने कृषि मंत्री <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Narendra_Singh_Tomar"><strong><span style="color: #000080;">नरेंद्र सिंह तोमर</span></strong></a> से मुलाकात की और कृषि सुधार कानूनों को समर्थन व्यक्त किया। साथ भारत बंद में किसी भी तरह शामिल न होने का आश्वासन दिया।
उधर, किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान संघ ने कहा कि वो कृषि कानून और किसानों के कंधे पर बंदूक रख चलाने वालों के साथ नहीं है। कानूनों में किसी संशोधन की जरूरत है और उसे बातचीत करके ठीक करवाया जा सकता है। भारतीय किसान संघ के सचिव मोहिनी मिश्र ने कहा भारत बंद के बहाने कई असामाजिक तत्व और संगठन देश के खिलाफ कार्रवाई में संलग्न हो गए है। किसान आंदोलन के बहाने विदेशों में देश का नाम बदनाम किया जा रहा है। इसलिए भारतीय किसान संघ ऐसे किसी भी आंदोलन के साथ नहीं हो सकता जिससे देश कमजोर और विखण्डनकारी मजबूत होते हों।
ध्यान रहे, कृषि कानूनों के बहाने बुलाए गए भारत बंद को कथित तौर पर 24 सियासी दल और विभिन्न संगठनों ने समर्थन का ऐलान किया है। पहले भारत बंद का ऐलान एक दिन के लिए किया गया था। 7 तारीख की शाम तक भारत बंद को सांकेतिक कर दिया गया। और कहा गया कि भारत बंद का समय सुबह 11 बजे से 3 बजे तक रहेगा।.