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किसान आंदोलनः प्रकाश बादल की कृषि कानूनों पर मोदी से बड़ा दिल दिखाने की अपील

किसान आंदोलनः प्रकाश बादल की कृषि कानूनों पर मोदी से बड़ा दिल दिखाने की अपील

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसानों की मांगों के समाधान की दिशा में 'पहले कदम' के रूप में 'बड़ा दिल दिखाने' और तत्काल तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की अपील की है। उन्होंने कहा, "पहले से ही जख्मों के निशान हैं, जिनको ठीक होने में लंबा समय लगेगा।"

एनडीए के पूर्व सहयोगी <a href="https://hindi.indianarrative.com/krishi/farmers-protest-rajya-sabha-member-sukhdev-singh-dhindsa-padma-bhushan-returned-20177.html">शिरोमणि अकाली दल के वयोवृद्ध नेता</a> ने यह भी मांग की है कि डॉ. स्वामीनाथन फार्मूले के अनुसार किसानों की 100 प्रतिशत फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) पर खरीदी जाए। साथ ही इसे किसान का वैधानिक अधिकार बनाया जाए। बादल ने देश के सामने आने वाली सभी समस्याओं को हल करने के लिए एक उदार, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने भारत को 'वास्तव में संघीय देश' बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि चल रहे संकट की जड़ें संघीय दृष्टिकोण के लिए हमारी प्रतिबद्धता को छोड़ने में निहित हैं।

उन्होंने कहा कि <a href="https://hindi.indianarrative.com/krishi/bharat-bandh-today-punjab-may-be-most-likely-state-20745.html">किसानों का संकट</a> एकमात्र उदाहरण नहीं है, जहां राष्ट्र-निर्माण के लिए इस समावेशी दृष्टिकोण को नजरअंदाज किया गया है या छोड़ दिया गया है। केंद्र और इसकी सरकार को व्यापक परामर्श और आम सहमति के आधार पर एक दृष्टिकोण का पालन करने की आवश्यकता है।

बादल ने प्रधानमंत्री को लिखे चार पन्नों के पत्र में कहा, "देश को गहरे उथल-पुथल में धकेलने वाले<a href="https://hindi.indianarrative.com/india/farmer-protests-agriculture-minister-tomar-invites-farmers-talk-19488.html"> तीन कृषि अधिनियमों</a> को किसानों को निशाना बनाए बिना वापस लेना चाहिए। उनके परिवार इस कड़ाके की ठंड में किसी से भी अधिक पीड़ा को सहन करते हैं।"

उन्होंने कहा, "यह मुद्दा अकेले किसानों को चिंतित नहीं करता है, बल्कि देश के पूरे आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करता है। क्योंकि व्यापारी, दुकानदार, भारतीय उपभोक्ता और मजदूर भी इससे सीधे प्रभावित होते हैं।".