सरकार और आंदोलनकारियों के बीच आज सोमवार को हुई वार्ता भी बेनतीजा रही। सरकार की ओर से किसानों से पूछा गया कि कानूनों को वापस लेने के क्या तर्क हैं, क्या कानूनों में क्या कमी है, कानूनों से क्या किसानों को क्या-क्या नुकसान हैं। इस पर काफी देर बात हुई लेकिन किसान केवल एक बात पर अड़े रहे कि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करो तो आगे बात बढ़े। वार्ता के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया से कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे लोगों के नेता हन्नान मुल्ला ने यह भी कहा कि अगर कानून वापस नहीं होते हैं तो हम कौन सा मुंह लेकर वापस जाएंगे। मतलब यह कि सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती है तब तक आंदोलन खत्म होगा। हम सरकार को झुका देंगे। कानून वापस होंगे।
वहीं वार्ता में शामिल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान अपनी बातों पर अड़े रहे इसलिए कोई प्रगति नहीं हुई। ताली दोनों ओर बजती है। अच्छी बात यह है कि किसानों की यूनियन के नेता 8 तारीख को फिर से बात-चीत के राजी हुए हैं। उन्हीं की मर्जी से अगले दौर की बात का समय तय किया गया है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा 'किसानों के कानून वापस लेने पर अड़े रहने की वजह से कोई रास्ता नहीं निकल पाया। हमें उम्मीद है कि अगली बैठक में सार्थक चर्चा होगी और हम समाधान तक पहुंच पाएंगे। किसानों को सरकार पर भरोसा है और सरकार के मन में किसानों के प्रति सम्मान और संवेदना है।'
तोमर ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि किसानों के समग्र हित को देखते हुए ही कानून बनाया है। हमारी अपेक्षा है कि किसन यूनियन की तरफ से यह बात हमारे सामने आए जिससे किसानों को समस्या है। हम उसपर खुलकर बातचीत करने को तैयार हैं। मुझे लगता है कि मुद्दे का जल्द ही समाधान होगा।
उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद मीडिया को कहा, '8 जनवरी को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने पर और एमएसपी, दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। हमने बता दिया है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं होगी।
इससे पहले वार्ता शुरू होने से पहले आंदोलन के दौरान जिन किसानों का निधन हुआ उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
.