अपनी मर्जी से कोविड-19 वैक्सीन का एक टेस्ट डोज लेने के कुछ दिनों बाद, <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Anil_Vij" target="_blank" rel="noopener noreferrer">हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री</a> अनिल विज शनिवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। यह देश का पहला मामला है जिसमें वैक्सीन का टीका लगने के बाद भी कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ है। विज ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि वह जांच में कोरोना वायरस पॉजिटिव निकले हैं और अंबाला छावनी के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती हैं। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन ने अनिल वीज के कोरोना संक्रमण को लेकर कहा, वीज को वैक्सीन की एक डोज ही दी गई थी।
इधर, अनिल वीज ने उनके संपर्क में आए लोगों से कोरोना टेस्ट कराने का निवेदन भी किया है। विज के भाई राजेन्द्र विज सहित परिवार के सदस्य पहले कोरोना संक्रमित हुए थे। यह देश का पहला ऐसा केस है जिसमें टीका लगने के बाद व्यक्ति संक्रमित हुआ है।
20 नवंबर को हरियाणा में कोरोना की देसी वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के तीसरे चरण का पहला टीका हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/training-dose-of-covid-19-vaccine-given-to-haryana-minister-anil-vij-18451.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer">अनिल विज</a> को अंबाला कैंट के नागरिक अस्पताल में लगाया गया था।
Haryana minister Anil Vij announces he has tested positive for COVID-19.
On November 20, he was administered a dose of Covaxin at a hospital in Ambala, as part of its third phase trial. pic.twitter.com/34HVOIRoFK
— ANI (@ANI) December 5, 2020
पीजीआई रोहतक की टीम की निगरानी में ही मंत्री विज को वैक्सीन का टीका लगाया गया। इसके बाद आधे घंटे तक उन्हें निगरानी में रखा गया। इससे पहले रोहतक पीजीआई की टीम ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के खून का नमूना लिया। सफल ट्रायल के बाद मंत्री विज ने जीत का निशान दिखाया और सीधे चंडीगढ़ स्थित अपने कार्यालय के लिए रवाना हो गए। मंत्री ने खुद आराम की जगह कार्यालय जाकर काम करने की इच्छा जताई। इस पर डॉक्टरों की टीम ने उन्हें अनुमति दी।
बता दें कि हरियाणा में कोवैक्सीन के टीके के परीक्षण की जिम्मेदारी पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के पीजीआईएमएस को सौंपी गई है। इसमें पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी डोज दी जानी थी। 48 दिन बाद उनके शरीर में एंटीबॉडी की जांच की जाएगी। सही परिणाम मिलने पर देशभर में चिह्नित 21 संस्थानों में कुल 25,800 वालंटियरों को यह डोज दी जाएगी।
पीजीआई के कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने कहा था कि कोवैक्सीन के खतरे काफी कम हैं। अभी तक की रिसर्च में एक दो वालंटियर को हल्का बुखार व टीके के स्थान पर दर्द जैसी समस्या आई है। हमारे सभी वालंटियर स्वस्थ हैं और अभी तक किसी को कोरोना होने की रिपोर्ट भी नहीं है।.