मां गंगे, गंगा जी, जीवनदायिनी गंगा, इन संबोधनों से पुकारी जाने वाली नदी 'गंगा' का स्वस्छ और निर्मल जल अचानक से हरा हो गया है। गांगा के पानी का यूं रंग बदलना ना सिर्फ गंगा के किनारे रहने वालों के लिए चिंता का कारण है बल्कि वैज्ञानिक भी इस स्थिति से परेशान हैं। उत्तर प्रदेश के वाराणसी के घाटों के किनारों से लेकर मध्य धारा तक गंगा का पानी इन दिनों हरा हो गया है। टेंशन में जिला प्रशासन गंगाजल में बदलाव की हकीकत जानने के लिए डीएम कौशल राज शर्मा ने मैजिस्ट्रेट की अगुवाई में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है।
गंगाजल को लेकर जांच शुरू
वाराणसी के खिड़कियां घाट से लेकर मिर्जापुर तक जिन-जिन जगहों पर गंगा का पानी हरा है, वहां से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा जल की सैम्पलिंग की है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने कहा है कि, 21 मई को पहली बार गंगा के जल का रंग हरा हुआ था। इसके तीन-चार दिनों बाद स्थिति सामान्य हो गई थी लेकिन उसके कुछ दिनों बाद फिर से गंगाजल का रंग बदल गया। इस दौरान हमने पहले वाराणसी के इंड्रस्ट्रियल एरिया से गिरने वाले नालों की जांच की लेकिन जांच में ये बातें सामने आई कि नाले के किसी केमिकल के कारण ऐसा नहीं हुआ है।
ऐसे में उन जगहों से गंगा जल के सैंपल कलेक्ट कर दोबारा इसकी जांच होगी कि आखिर गंगा में हरे शैवाल कैसे और कहां से आ रहे हैं, 10 जून तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट सैंप देगी। वहीं, गंगा से जुड़े एक्सपर्ट की माने तो गंगा के बदले रंग की वजह गंगा जल में ठहराव है। वाराणसी में गंगा किनारे हो रहे निर्माण के कारण ऐसा हो रहा है। गंगा का बदला रंग जलीय जीवों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।