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jinping की हर चाल होगी फेल! जब 100 इंजनों की गड़गड़ाहट से थर्राएगा चीन,पीएम मोदी ने की ये डील फाइनल

GE-F414 इंजन को लेकर ऐतिहासिक समझौता

जेट इंजन के भारत में निर्माण की कल्पना करना ही अभी तक असंभव था, लेकिन अब से कुछ सालों के बाद भारत, दुनिया का पांचवा देश बन जाएगा, जो लड़ाकू विमानों के इंजन का निर्माण करेगा। ये एक असंभव कल्पना थी, जो अब सच साबित हो रहा है। अमेरिका और भारत के बीच एक ऐसी डील हुई है जिसके बाद भारत के पास खास भी ऐसे घातक जेट इंजन होंगे। इस डील के बाद भारतीय वायु सेना की ताकत आने वाले वक्त में कई गुना बढ़ जाएगी। अब से GE एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड लड़ाकू जेट इंजन तैयार करेंगे। इस डील की सबसे बड़ी की सबसे बड़ी बात है कि GE-F414 का संयुक्त प्रोडक्शन भी होगा। इस इंजन की सबसे बड़ी खासियत यह होगी की यह एक बार में 98 किलोन्यूटन की ताकत पैदा करता है। यह डील भारत के लिए कितनी फायदेमंद है और इस डील के बाद चीन और पाकिस्तान क्यों टेंशन में हैं।

अमेरिका के साथ हुई डील

अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस ने भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान (LCA)-MK-2 तेजस के जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ करार किया है। GE एयरोस्पेस के CEO एच लॉरेंस कल्प जूनियर ने कहा यह ऐतिहासिक समझौता है। भारत और एचएएल के साथ गठजोड़ के कारण यह संभव हुआ है। भारतीय वायु सेना के एलसीए-एमके-2 लिए 99 इंजन का निर्माण करने की ओर ऐतिहासिक कदम है।

GE-F414 की क्या है खासियत

GE-F414 इंजन, यह मिलिट्री एयरक्राफ्ट इंजन का हिस्सा है। अमेरिका में इसका 30 सालों से इस्तेमाल हो रहा है। जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कंपनी अब तक 1600 से अधिक इंजन को डिलीवर कर चुकी है। GE-F414 इंजन इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें फुल अथाॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल FADEC सिस्टम लगा हुआ है। साथ ही लेटेस्ट एयरक्राफ्ट इग्नीशन सिस्टम भी लगा है। यह इंजन को काफी पावरफुल बनाता है। दूसरे इंजन के मुकाबले अधिक चलता है। भारत ने क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन बनाने में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है लेकिन इस तरह की टेक्नोलॉजी नहीं है।

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पूरे एशिया में भारत छोड़ देगा सबको पीछे

भारत आधे से अधिक अपनी सैन्य आपूर्ति रूस से करता है। अमेरिका की कोशिश है कि इसे कम किया जाए। चीन के साथ अमेरिका और भारत दोनों के ही रिश्ते ठीक नहीं है। दोनों के देशों के बीच इसको लेकर उस वक्त यह कदम उठाया गया है जब चीन एलएसी के साथ ही दक्षिण चीन सागर में भी अपनी ताकत दिखा रहा है। इस डील के बाद सैन्य जेट के मामले में भारत एशिया का सबसे ताकतवर देश हो जाएगा। चीन इस तरह के सैन्य जेट के लिए रूस पर निर्भर है। इस डील के बाद भारतीय वायु सेना के पास अधिक समय तक चलने वाले जेट इंजन होंगे। भारत अभी तक रूस से जो जेट इंजन लेता है उसमें जल्द ओवरहाल की जरूरत होती है।