दिल्ली के बॉर्डर पर पिछले कई महीनों से धरना पर बैठे किसान अब धीरे-धीरे अपने घरों की ओर जा रहे हैं। यूपी दिल्ली गेट पर अब गिनती के किसान ही बचे हैं, हालांकि टेंट अभी भी लगे हुए हैं। यहां जुटे किसानों के नेता राकेश टिकैत हैं। बता दें कि तीनों कृषि कानूनों के विरोध में और इन्हें पूरी तरह से रद करने की मांग को लेकर यूपी गेट पर 28 नवंबर से धरना-प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारियों ने फ्लाईओवर के नीचे, संपर्क मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग-नौ और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की दिल्ली जाने वाली लेन पर टेंट लगाकर कब्जा किया हुआ है। प्रदर्शनकारियों के टेंट खोड़ा के इतवार पुश्ता के आगे तक लगे हैं।
वहीं, आंकड़ों की बात करें, तो यहां पर 25 बड़े, 70 मंझले और सौ छोटे टेंट लगे हैं। बड़े टेंट में 40, मंझले में 10, छोटे में दो प्रदर्शनकारियों के ठहरने का स्थान है। इस प्रकार यहां 1900 प्रदर्शनकारियों के ठहरने के इंतजाम हैं। इसके अलावा 17 लंगर चल रहे हैं। इनमें भी ठहरने की व्यवस्था है, मगर स्थिति यह है कि यहां पर महज तीन से चार सौ प्रदर्शनकारी ही बचे हैं। उनमें से भी करीब सौ प्रदर्शनकारी आसपास के गांवों व जिलों के हैं, जो आते-जाते रहते हैं। इस वजह से टेंट सूने रहते हैं।
सच्चाई तो यह है कि टेंट के बहाने यह राज छिपाया जा रहा है कि किसान आंदोलन फुस्स हो चुका है और आंदोलनकारी नाम मात्र के लिए यहां पर बचे हैं। प्रदर्शनकारियों को यहां पर रोके रखने और भीड़ बढ़ाने के लिए नेता लग्जरी व्यवस्थाएं, पंचायत आदि कर रहे हैं। यह सभी हथकंडे फेल हो रहे हैं। यहां पर नए प्रदर्शनकारी नहीं आ रहे हैं। फिर भी नेता टेंट नहीं हटा रहे हैं। इससे पता चल रहा है कि अब धरना टेंटों के सहारे चल रहा है।