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Car चलाते हैं तो पढ़ लें यह खबर- अब बैक सीट पर बैठने वालों को भी लगानी होगी Seat Belt, वरना कटेगा इतने का चालान!

अब कार की बैक सीट पर भी बैठने वाले को लगाना होगा सीट बेल्ट

कार चलाते वक्त अगर ट्रैफिक नियमों का ध्यान नहीं दिया जाए तो मोटा चालान कट सकता है। इन दिनों केंद्र सरकार यातायात नियमों को लेकर काफी सख्त हो गई है और पहले के मुकाबले अब ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर बचा नहीं जा सकता है। हर चौराहे और मोड़ पर यातायात पुलिस तो तैनात ही है साथ ही कैमरों के जरिए भी नियम तोड़ने पर चालान कट जाते हैं। लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने इन सख्त नियमों को लागू किया है। अब एक बार फिर से नया निमय आने वाला है जिसमें कार की फ्रंट सीट के बाद अब बैक सीट पर भी बैठने वाले व्यक्ति को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य होगा। इसके लिए सरकार वहान कंपनियों को भी आगाह करने वाली है।

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खबरों की माने तो सरकार जल्द ही कार बनाने वाली कंपनियों के लिए कार की सभी सीटों पर केवल थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट प्रदान करना अनिवार्य कर देगी, जिसमें पीछे की सीट के बीच में बैठे यात्री शामिल है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी ने यह जानकारी दी है। वर्तमान में देश में बनने वाली अधिकांश कारों में केवल आगे और पीछे की दो सीटों में थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट होते हैं, जिन्हें वाई-आकार का बेल्ट के रूप में जाना जाता है। हालांकि, इन कारों में पीछे की सीट में केवल टू-प्वाइंट या लैप सीटबेल्ट होती, जैसा कि विमान की सीटों में होता है, जो गोद के ऊपर लगती है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा करीब एक महीने में एक अधिसूचना जारी करने की संभावना है, जिसके बाद जनता से सुझाव मांगे जाएंगे। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिना नाम छापे अनुरोध करते हुए कहा कि, सरकार का इरादा भारत में निर्मित यात्री कारों की सुरक्षा रेटिंग में सुधार करना है। मंत्रालय के मुताबिक, कुछ मॉडलों को छोड़कर, भारत में पीछे के बीच में बैठे यात्री के लिए किसी भी वहान में थ्री-प्वाइंट सीटबेल्डट नहीं होते हैं। उनके पास केवल एक लैप बेल्ट है, जो हमने दुर्घटना की स्थिति में शायद ही प्रभावी हो, इस प्रकार यात्री को बहुत जोखिम होता है।

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खबरों की माने तो, सरकार द्वारा हाल ही में सभी यात्री वाहनों के लिए छह एयरबैग अनिवार्य करने के कदम के बाद लोगों के लिए कारों को सुरक्षित बनाने के लिए यह दूसरा कदम होगा। इस समय भारत में कारों की औसत व्हीकल रेटिंग अपेक्षाकृत खराब है और अधिकांश मॉडलों को सुरक्षा मानकों के अनुसार 3 स्टार या उससे कम रेटिंग दी गई है।