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मुस्लिम लाए पूजा सामग्री, पंडितों ने सजाई थाली और मंदिर में 30 साल बाद बजीं घंटियां

habba Kadal Shital Nath Temple Kashmir Valley reopens

कश्मीर में पुराने दिन लौट रहे हैं। वादी के मंदिरों का पुनर्द्धार हो रहा है। घंटियों की आवाज गूंजने लगी है। केसर की खुशबू के साथ ही समिधा की सुगंध के साथ वादी को फिर से प्रेम-मोहब्बत और आध्यात्म बयार बहने लगी है। जम्मू-कश्मीर लंबे समय से आतंकवाद से पीड़ित रहा। लेकिन अब फिर से स्थानीय मुस्लिम परिवार पूजा का सामान ला रहे हैं और कश्मीरी पंडित आरती-प्रसाद की थाली सजा रहे हैं।

 90 के दशक में कश्मीर में आतंक की शुरुआत के बाद बड़े पैमानों पर घाटी से हिंदुओं का पलायन हुआ। इस वजह से अबतक कश्मीर घाटी में हिंदुओं के कई मंदिर बंद पड़े हैं लेकिन अब समय और हुकुमत के बदलने के साथ हालात भी बदले हैं, कश्मीर में नया सवेरा हो रहा है। मंगलवार को बसंत पंचमी के मौके पर श्रीनगर के हब्बा कादल में 31 साल बाद शीतल नाथ मंदिर खोला गया।

एक श्रद्धालु ने मीडिया को बताया कि हब्बा कादल का शीतलनाथ मंदिर कश्मीर में आतंकवाद पनपने और इसकी वजह से हुए हिंदुओं के पलायन के बाद से बंद हो गया था, लेकिन स्थानीय लोगों के सहयोग और सरकार के प्रयास के बाद मंदिर के कपाट खुले कश्मीरी पंडितों ने फिर से यहां पूजा शुरू की।

श्रीनगर के शीतलनाथ मंदिर में पूजा के आयोजकों में से एक रविंदर राजदान ने कहा, "स्थानीय मुसलमानों ने भी यहां इस पूजा को आयोजित करने में हमारी मदद की। वे पूजा का सामान लेकर आए और मंदिर को साफ करने में हमारी मदद की।