दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने गुरुवार को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) मैनेजमेंट टीम और दिल्ली जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ द्वारका के 40 एमजीडी पप्पनकलां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया। इंजीनियर्स को पप्पनकलां एसटीपी बायोडाइजेस्टर के फेज-क को जल्द शुरू करने का निर्देश दिया गया है। इस निर्देश के मुताबिक इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट से 100 फीसदी नालों का कनेक्शन होना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि सारे सीवर्स का पानी एक साथ इकट्ठा करके सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचाया जा सके।
पप्पनकलां STP में 2 बायोडाइजेस्टर हैं जिसका फेज-क का काम कर रहा है। इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल काम पूरा होने के बावजूद फेज-क में काम शुरू नहीं हुआ है। काम में देरी की वजह का पता चलने पर जल बोर्ड उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने फेज-क प्लांट के काम के लिए नियुक्त ठेकेदार से फोन पर बात करके उसे फटकार लगाई और कारण बताओ नोटिस जारी किया। साथ ही निर्देश दिया कि फेज-क का अधूरा काम 30 दिनों के अंदर पूरा किया जाए, और 30 दिनों के बाद काम पूरा होने की रिपोर्ट जमा की जाए।
जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा, "पप्पनकलां एसटीपी में लगे ये दोनों बायोडाइजेस्टर को मिलाकर 15,000 यूनिट कैप्टिव बिजली का उत्पादन होना था, लेकिन फेज-क के काम नहीं करने से सिर्फ 8900 यूनिट कैप्टिव बिजली का ही उत्पादन हो पाया। इसका संज्ञान लेते हुए जल्द से जल्द फेज-क का काम पूरा किया जाए, ताकि सीवेज ट्रीटमेंट के साथ बिजली का उत्पादन उम्मीद के मुताबिक होता रहे। इन बायोडाइजेस्टर से उत्पन्न बिजली का उपयोग पप्पनकलां एसटीपी के अन्य कामों के लिए किया जाता है।"
दौरे पर दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष ने पप्पनकलां एसटीपी की मशीनरी का निरीक्षण किया। इनलेट चेंबर, ग्रिट क्लासिफायर, प्राइमरी सेटलिंग टैंक, बायोडाइजेस्टर, वायु मिश्रण टैंक समेत अन्य मशीनरी की जांच की। प्लांट के दौरे पर राघव चड्ढा ने देखा की फेज-क के वायु-मिश्रण टैंक के कुछ हिस्से में खराबी थी, जिसकी वजह से ये टैंक पूरी क्षमता पर काम नहीं कर पा रहा था। राघव चड्ढा ने अधिकारियों को तत्काल निर्देश दिया कि इस टैंक की खराबी को जल्द से जल्द दूर किया जाए।
हर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में एक इनलेट चैंबर होता है, जहां पहली बार सीवर का गंदा पानी पहुंचता है। यहां से सीवेज का पानी ग्रिट क्लासिफायर में पहुंचता है, उसके बाद ये प्राइमरी सेटलिंग टैंक में पहुंचता है, जहां से ये वायु-मिश्रण टैंक में भेजा जाता है। वायु मिश्रण टैंक के बाद ये सीवेज फाइनल सेटलिंग टैंक में पहुंचता है, जहां से ट्रीट किया हुआ सीवेज नदी में प्रवाहित किया जाता है।.