देश में कोरोना के मरीज हर दिन बढ़ रहे हैं। बढ़ते कोरोना संक्रमितों की संख्या स्वास्थय व्यव्स्था की पोल खोल रही है। कोरोना के कारण कुछ मरीजों को ऑक्सीजन की समस्या हो रही है। इतनी जनसंख्या वाले देश में एकाएक ऑक्सीनज की मांग बढ़ जाने से अव्यवस्था फैल गई है। देश के कई अस्तालों में ऑक्सीजन के बिना जाने जा रही है। लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए परेशान हैं। हर दिन खबर आती है कि किसा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से इतने लोगों की जान चली गई।
हालांकि देश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है डिमांड से ज्याजा प्रोडक्शन हो रहा है। कई प्लांटों में पूरी क्षमता के साथ 24 घंटे ऑक्सीजन तैयार किए जा रहे हैं। यही नहीं, प्लांट में खपत से ज्यादा ऑक्सीजन का स्टॉक है, लेकिन सप्लाई में समस्या आ रही है। समस्या ये है कि प्लांट से लिक्विड ऑक्सीजन को डिस्ट्रीब्यूटर तक पहुंचाने के लिए क्राइजोनिक टैंकर कम पड़ रहे हैं और रिफिलिंग के लिए सिलेंडर की कमी हो गई है।
इस समस्या के बाद सरकार के साथ-साथ देश के उद्योगपतियों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। पिछले हफ्ते Tata Group ने लिक्विड ऑक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए 24 क्राइजोनिक कंटेनर्स आयात करने का फैसला किया था। इस कड़ी में शनिवार शाम तक 4 क्राइजोनिक कंटेनर्स भारत पहुंच चुके हैं। सिंगापुर से चार ऑक्सीजन क्राइजोनिक कंटेनर्स विमान के जरिये भारत मंगाए गए हैं।
इन कंटेनर्स के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई होगी। जिससे ऑक्सीजन की किल्लत थोड़ी कम होगी। भारतीय वायु सेना को इस काम में लगा है। IAF ने विदेशों से ऑक्सीजन टैंकर लाने का ऑपरेशन भी शुरू कर दिया है। ये कंटेनर वायुमार्ग से भारत के पूर्वी हिस्से में पहुंचे हैं, जहां से लिंडे उन्हें अपने एलएमओ प्लांट तक ले जाएगा।
प्रत्येक कंटेनर की क्षमता 20 टन लिक्विड ऑक्सीजन की है। इनका इस्तेमाल ऑक्सीजन प्लांट से तरल ऑक्सीजन भरा कर अस्पतालों तक पहुंचाने में किया जाएगा। कंपनी का कहना है कि वह वर्तमान महामारी के शुरू होने के समय से ही उद्यमों के साथ साझेदारी कर मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति तेज करने के नए नए उपाय करने के नए नए उपाय करने में लगी है।
आपको मालूम हो कि राजधानी दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में जहां तरल ऑक्सीजन की उपलब्धता कम है, वहां इसे पहुंचाने के लिए सरकार ने वायु मार्ग, रेलवे और सड़क, हर उपाय करना शुरू कर दिया है। परिवहन के लिए नए वाहन जुटाए जा रहे हैं।