अब कोरोना की जांच के लिए हफ्तों तक इंतजार नहीं करना होगा क्योंकि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (ICMR) ने एक ऐसी तकनीक बनाई है जिसकी मदद से सिर्फ तीन घंटे में ही पता चल जाएगा की कोरोना है या नहीं। आईसीएमआर द्वार मंजूरी दी गई इस नई तकनीक में गरारा करके कोरोना का पता लगाया जा सकता है।
दरअसल, कोरोना महामरी के बीच देश में हर दिन लाखों की संख्या में कोविड टेस्टिंग की जा रही है। एसे में कोरोना जांच को लेकर पिछले एक साल में कई रिकॉर्ड्स बने हैं लेकिन, सबसे ज्यादा भरोसा आरटी-पीसीआर जांच पर होता है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की नई तकनीक से अब संक्रमण का केवल तीन घंटे में पता चल जाएगा, ऐसे में अब यह गेमचेंजर साबित होगी। इस टेस्ट में स्वैब का कलेक्शन लेना जरूरी नहीं होगा। इसमें एक ट्यूब होगी, जिसमें सलाइन होगा। लोगों को कोरोना की जांच के लिए इस सलाइन को मुंह में डालने और फिर 15 सेकंड तक गरारा करने की जरूरत होगी। गरारा करने के बाद ट्यूब में थूकना होगा और टेस्टिंग के लिए दे देना होगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस तकनीक को रिमार्कबल इनोवेशन करार दिया है। उन्होंने कहा, 'यह स्वैब फ्री तकनीक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।' नीरी के पर्यावरण वायरोलॉजी सेल के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. कृष्णा खैरनार ने बताया, ''सैंपल कलेक्शन को आसान और पेशेंट फ्रेंडली बनाने के लिए नीरी ने सोचा था। कम से कम पेशेंट को तकलीफ पहुंचा कर कलेक्शन ले सकते हैं। सलाइन को पीना पड़ता है और फिर गरारा करना पड़ता है। तीन घंटे में हम आरटी-पीसीआर वाली रिपोर्ट दे सकते हैं।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, हमें अभी आईसीएमआर की मंजूरी मिल गई है और बाकी लैब्स को ट्रेनिंग देने के लिए हमसे कहा गया है। नीरी में आज पहला बैच आया है, जिसकी टेस्टिंग बाकी है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, लोग खुद से भी यह टेस्टिंग कर सकेंगे, जिससे टेस्टिंग सेंटर पर भीड़ नहीं लगेगी और इससे काफी समय भी बचेगा। साथ ही सेंटर पर दूसरों से संक्रमित होने का खतरा भी नहीं होगा।