'कम्युनिस्ट चीन के राष्ट्रपति और सेना के सभी अंगों के कमाण्डर इन चीफ शी जिनपिंग भारतीय सेना की बढ़ती ताकत से घबरा गए है। चीन के राष्ट्रपति को अहसास हो गया है कि महज 8 दिन की जंग के बाद भारतीय सेना आधे से ज्यादा अक्साई चिन पर कब्जा कर सकती है। अगर ये जंग आगे चली तो चीन को तिब्बत से भी हाथ धोना पड़ सकता इसलिए सीमाओं पर वॉर एक्सरसाइज से शी जिनपिंग अपनी फौज में हवा भरने की कोशिश कर रहे हैं। एलएसी पर 50 हजार चीनियों के रिप्लेसमेंट से चीनी फौज की तैयारियों की पोल पहले ही खुल चुकी है।'
दुनिया के जितने भी देशों से चीन की सीमाएं मिलती हैं उन सभी चीन का सीमा विवाद चल रहा है। भारत से भी चीन का विवाद लगभग 60 साल पुराना हो गया है। पिछले साल जून में गलवान में हुई हिंसक वारदात के बाद चीन ने शांतिवार्ता की टेबल पर आकर अपनी सेनाओं को विवादित मोर्चों से हटाकर वापस पुरानी जगहों पर लेजाने की सहमति दी थी। कुछ स्थानों से चीन की सेनाएं पीछे भी गई, लेकिन बाकी विवादित स्थानों पर आज भी चीनी फौज जमी हुई हैं। ऐसा नहीं कि भारतीय सेना वहां नहीं है भारतीय सेना भी अपने अग्रिम मोर्चो से आगे बढ़कर चीनियों के सामने डटी हुई हैं। भारतीय सेना चीनियों की हिमाकत का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
एलएसी पर कुछ जगह ऐसी हैं जहां चीनी फौज के हौंसले पस्त हो गए। भारतीय सेना के सामने हो रही किरकिरी से शर्मिंदा शी जिनपिंग ने मौसम से हारे 50 हजार सैनिकों वापस बुला लिया और उनकी जगह नए सैनिकों की तैनाती कर दी। यहां तक तो ठीक था। इसी बीच शी जिनपिंग के जनरलों ने चाल चलनी शुरू कर दी। पहले एलएसी के उस पर पठारी इलाकों में चीन की पीएलए ने नए-भारी और स्वचालित हथियारों से वॉर एक्सरसाइज शुरू कर दी। चीन की वार एक्सरराइज इंडियन आर्मी की तैनाती से ज्यादा दूर नहीं थी।
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चीन की चालबाजियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे और वायुसेना अध्यक्ष आरएस भदौरिया ने एलएसी का दौरा किया। भारतीय थल सेना और वायुसेना की तैयारियों का जायजा और हर पल सतर्क रहने के निर्देश दिए। चीन अब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। पीएलए की वायु सेना ने भी एलएसी के आसामान में वॉर एक्सरसाइज शुरू कर दी। चीन की एयरफोर्स ने हद तो उस वक्त कर दी जब उसके दो दर्जन जेएफ 22 और जेएफ 17 के लड़ाकू विमानों के दस्ते वायु सीमा के लगभग नजदीक पहुंच गए। चीनी लड़ाकू विमानों ने रेड लाइन की ओर बढ़ते ही भारत का डिफेंस सिस्टम एक्टिव हो चुका था और मिराज के साथ राफेल तथा मिग के स्क्वाडर्न अटैकिंग मोड में आ गए थे। भारतीय सेना की तैयारियों को भांपते हुए चीनी लड़ाकू विमान रेड लाइन क्रॉस करने से पहले ही भाग खड़े हुए।
हालांकि भारतीय सेना ने चीन के हवाई अभ्यासों को ट्रैक किया जिसमें देखा गया कि चीन ट्रेनिंग में एक स्क्वाड्रन-प्लस चीनी लड़ाकू जेट (22अधिक विमान) का इस्तेमाल कर रहा है। भारत चीनी प्रशिक्षण क्षेत्रों पर भी नजर रख रहा है जो 1हजार किमी की गहराई पर हैं। ये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 1,500किमी दूर हैं।
ऐसा नहीं है कि भारत सिर्फ चीन की गतिविधियों पर ही नजर बनाए हुए है। भारतीय सेना भी लगातार अपनी प्रशिक्षण गतिविधियों को अंजाम दे रही है। अगर चीन ने अब कोई दुस्साहस किया तो उसको जल-थल-नभ से ऐसा जवाब मिलेगा कि उसको अक्साई चिन ही नहीं बल्कि तिब्बत छोड़कर पीछे भागना पड़ेगा। इसका यह नतीजा भी हो सकता है कि उसकी शिन जियांग में पश्चिमी कमान को सरेंडर करना पड़ सकता है या छोड़कर पीछे भागना पड़ सकता है। ये दोनों परिस्थितियां चीन को दुनिया भर में शर्मिंदा कर सकती हैं और उसके महाशक्ति बनने के सपने को तोड़ सकती है।