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पाकिस्तानी फौज के कर्नल को दिल्ली में पद्मश्री अवॉर्ड, दुनिया भर में खोजती रही ISI और इमरान खान की फौज!

भारत सरकार ने दी इमरान खान और बाजवा को गहरी चोट

आज भारत के राष्ट्रपति भवन से जो तस्वीर सामने आई है उससे इमरान खान सरकार के साथ साथ पाक आर्मी की भी नींद जरूर उड़ा दी होगी। पाकिस्तान को भारत ने ऐसा दर्द दिया है जिसे पाकिस्तान ना तो दिखा पाएगा और ना ही छूपा पाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज पाकिस्तानी सेना में कर्नल रहे काजी सज्जाद अली जहीर को पद्मश्री से सम्मानित किया है। काजी सज्जाद ने भारत के लिए ऐसा कारनामा किया था जिसके चलते पाकिस्तान इतना आग बबूला हो गया कि उसने मौत का वारंट जारी कर दिया था। पाकिस्तानी सेना में कर्नल रहे काजी सज्जाद अली जहीर

पाकिस्तान से बगावत कर भारत को सौंपी थी कई खुफिया जानकारी

पाकिस्तानी सेना में कर्नल रहे काजी सज्जाद अली जहीर 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के हीरे रहे हैं। कर्नल जहीर ने पाकिस्तानी सेना के कई खुफिया दस्तावेजों को भारत को सौंपा था। इसके अलावा उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी के हजारों लड़ाकों को सैन्य ट्रेनिंग भी दी थी जिसके बाद पाकिस्तान ने उनके मौत का वारंट जारी कर दिया था। जब काजी सज्जाद अली जहीर भाग कर भारत आ गए तो पाकिस्तानी सेना इतनी आग बबूला थी कि उसने बांग्लादेश में उनके घर को आग लगा दी उसके बाद उनकी उनकी मां और बहन को मारने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तानी आर्मी इसमे भी नाकाम रही। कर्नल जहीर 1969 के आखिर में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे। तब बांग्लादेश पर भी पाकिस्तान का ही शासन था।

पाकिस्तान सेना की 14 पैरा ब्रिगेड स्पेशल फोर्सेज में शामिल थे कर्नल जाहीर

पाकिस्तानी सेना की आर्टिलरी कोर (तोपखाना) में शामिल हुए जहीर को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया। पाकिस्तानी सेना की 14 पैरा ब्रिगेड स्पेशल फोर्सेज में शामिल कर्नल जाहीर की ट्रेनिंग के स्टेंडर्ड पाकिस्तान की आम सेना के जवानों से काफी अलग थे। पाकिस्तानी सेना बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से शामिल हुए लोगों पर कड़ी निगरानी रखा करती थी। उन्हें शक था कि ये लोग पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार और नरसंहार के खिलाफ सेना से बगावत कर सकते हैं।

बांग्लादेश के लिए कर दी पाकिस्तान से बगावत

बांग्लादेश में हालात बिगड़ने के बाद पाकिस्तान में तैनात इन लोगों पर ISI और आंतरिक खुफिया एजेंसियों की निगारनी तेज गई और हालात यहां तक आ गई कि ज्यादातर बांग्लादेशी जवानों और अधिकारियों को ग्राउंड ड्यूटी से हटा दिया गया इसके अलावा ड्यूटी पर एक साथ दो बांग्लेदेशी मूल के लोगों को नहीं रखा जाता था। इसके बाद भी इन लोगों ने अपनी मात्रभूमि और अपने लोगों की रक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना से बगावत की और इसी में कर्नल जहीर भी शामिल थे। पाकिस्तानी सेना जिस तरह से बांग्लादेश के लोगों पर अत्याचार कर रही थी उसे देखकर कर्नल जहीर पूरी तरह से हिल गए थे और फिर उन्होंने पाकिस्तान से भागकर भारत आए और कई खुफिया जानकारी साझा की।

भारत ने दिया पूरा सम्मान

कर्नल जही ने भारत में जम्मू और कश्मीर में सांबा के रास्ते प्रवेश किया। उस दौरान उनके पास सिर्फ 20 रुपए और जो कपड़े पहने थे वही थे। पाकिस्तान से फरार होने से पहले उन्होंने कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया और भारत आने के बाद उन्होंने भारतीय सेना को सौंप दिया। भारत ने उन्हें पूरा सम्मान देते हुए बांग्लादेश के मुक्ति वाहिनी के लड़ाकों को ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी सौंपी, जिसके बाद उन्होंने हजारों बांग्लादेशी नागरिकों को प्रशिक्षण दिया।  उनके ही देखरेख में सिलहट के पास भारतीय सेना के सौंपे हुए तोप से एक मोर्चा भी सेट किया गया था। इन्हीं तोपों की गोलीबारी के कारण मुक्ति वाहिनी ने सिलहट के आसपास के इलाकों में पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया था। बांग्लादेश की आजादी के बाद उन्होंने शुद्धोई मुक्तिजोद्धो नाम से एक संगठन की स्थापना की। इसके जरिए उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शामिल हुए बांग्लादेशी और भारतीय लोगों को पहचान की। इसके साथ ही उन्होंने एक दस्तावेज भी तैयार करवाया, जिसमें इन लोगों के योगदान का उल्लेख किया गया था।