दुनिया के कई देशों से दुश्मनी मोल लिए बैठे ड्रैगन को काबू में करने के लिए कई देश रणनीति बना रहे हैं। चीन अपने आस-पास के देशों की जमीनों पर जबरन कब्जा करने की कोशिश करता रहता है। भारत की भी सीमा चीन से लगती है और इन सिमाओं में चीन कब्जा करने की कोशिश करता रहा है। गलवान वैली को लेकर पिछले दो साल से दोनों देश आमने सामने हैं। भारत के मुंह तोड़ जवाब से ड्रैगन भन्नाया हुआ है। अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर अपनी निगरानी को मजबूत करने के लिए भारतीय सेना एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। जिसे देख कर चीन का माथा जरूर ठनक उठेगा। चीन की हर चाल पर पकड़ रखने के लिए भारतीय सेना एक ड्रोन की खरीदारी करने जा रही है जो कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लौस है।
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भारतीय सेना ने चीन पर नजर रखने के लिए 2021 में उच्च ऊंचाई वाले सामरिक ड्रोन खरीदा था। इसके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए सेना ऐसे और ड्रोनों को खरीदेगी। इसे लेकर सेना ने एक भारतीय स्टार्टअप को ऑर्डर दे दिया है। रिपोर्ट की माने तो, हायर एंड्यूरेंस और टेक्निकल फीचर्स के साथ स्विच सामरिक ड्रोन्स सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो पिछले साल जनवरी में मुंबई स्थित फर्म से खुफिया, निगरानी और टोही के लिए ड्रोन के पूरे सेट की डिलीवरी पूरी हो चुकी है। लद्दाख में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, जहां भारत और चीन के करीब दो साल से गतिरोध जारी है।
सामरिक ड्रोन के अलावा सेना ने बड़े मानव रहित हवाई वाहनों को लाकर भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर निगरानी भी बढ़ा दी है। भारतीय सेना सैटेलाइट के जरिए भी निगरानी कर रही है और भारतीय नौसेना के P8i जैसे विशेष विमानों का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि पिछले साल पहली बार सेना ने निगरानी के लिए विशेष स्वदेशी ड्रोन शामिल किए थे। नए ऑर्डर में कितने ड्रोन मंगाए जा रहे हैं और इनकी क्या कीमत होगी इसे लेकर अभी कोई खबर सामने नहीं आई है। हालांकि, 2021 में हाई वैल्यू वाले ड्रोन को 140 करोड़ रुपए में खरीदा गया था और नवंबर 2021 में पीएम मोदी ने औपचारिक रूप से भारतीय सेना को स्विच ड्रोन्स सौंपे थे।
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स्विच ड्रोन की खासियत के बारे में बात करें तो इसका वजन सिर्फ 6.5 किलो के करीब होता है। ये हेलीकॉप्टर की तरह वर्टिकल टेक-ऑर करने में सक्षम है। इसके साथ ही ये कम तापमान, तेज हवाओं और हवा के कम घनत्व के साथ भी उड़ान भरने में सक्षम है। इसे 4000 मीटर की ऊंचाई तक से लॉन्च किया जा सकता है।