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Indian Jackfruit धमाल मचा रहा है यूरोप में, Corona महामारी के बीच Europe में बढ़ी डिमांड, वायरस के इलाज में रामबाण कटहल!

Indian Jackfruit demand rises in Europe

कोरोना महामारी के दौरान अचानक कटहल की मांग बढ़ी है। देश के साथ साथ विदेशों में भी इसकी भारी डिमांड है, विदेशों में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका पता इससे चलता है कि जर्मनी में बेंगलुरू की एक कंपनी ने 10.2 टन कटहल निर्यात किया है।

जर्मनी बढ़ी कटहल की मांग

एग्रीकल्चरल & प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (अपेडा) की ओर से एक बयान में कहा गया है कि, ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, जैविक रूप से प्रमाणित ग्लूटेन-मुक्त कटहल पाउडर और 'रिटॉर्ट पैक्ड' कटहल के 'क्यूब' आदि के रूप में 10.20 टन मूल्य वर्धित उत्पादों की एक खेप मंगलवार को समुद्री मार्ग से जर्मनी को निर्यात किया गया है।

कटहल की यह खेप बेंगलुरु के फलादा एग्रो रिसर्च फाउंडेशन (PARF) द्वारा भेजी गई है। एपीडा पंजीकृत PARF लगभग 12,000 एकड़ में खेती करता है, PARF के ऑर्गेनिक उत्पादन से लगभग 1500 किसान जुड़े हुए हैं। ये किसान औषधीय और सुगंधित जड़ी-बूटियां, नारियल, कटहल, मैंगो प्यूरी उत्पाद, मसाले और कॉफी उगाते हैं। फाउंडेशन अपने छोटे किसान समूहों के लिए राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी), यूरोपीय संघ, राष्ट्रीय जैविक कार्यक्रम (यूनाइटेड स्टेट्स) मानकों के अनुसार प्रमाणन प्रक्रिया की सुविधाएं देता है। पीएआरएफ की प्रसंस्करण इकाई एपिडा से प्रमाणित है।

विदेशों में बढ़ रही कहटल की मांग

कुछ दिन पहले ही त्रिपुरा से 1.2 मीट्रिक टन (एमटी) ताजे कटहल का एक शिपमेंट लंदन के लिए निर्यात किया गया था। कटहल त्रिपुरा स्थित कृषि संयोग एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से मंगवाए गए थे। खेप को नमक रेंज सप्लाई चेन सॉल्यूशन लिमिटेड की एपीडा सहायता प्राप्त पैक-हाउस सुविधा में पैक किया गया था और कीगा एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्यात किया गया था। यह पहला एपीडा सहायता प्राप्त पैक हाउस था। यूरोपीय संघ को निर्यात, जिसे मई 2021 में अनुमोदित किया गया था।

नहीं की जाती किसी भी रसायनिक उर्वरक का इस्तेमाल

इन ऑर्गेगिन प्रोडक्ट्स को राष्ट्रीट कार्यक्रम के तहत पर्यावरण और सेहत को ध्यान में रखते हुए खाद्य (रासायनिक उर्वरक) या फिर किसी भी किटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। ऑर्गेनिक फूड को उगाने के लिए किसी भी रासायनिक खादों का उपयोग नहीं किया जाता है यही वहज है कि वर्तमान में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है।

बताते चलें कि साल 2020-21 में भारत ने लगभग 3.49 मिलियन टन प्रमाणित ऑर्गेनिक खेती के जरिए कई फसलों का उत्पादन किया है कि, इनमें गन्ना, अनाज, बाजरा, कपास, दालें, सुगंधित और औषधीय पौधे, तिलहन, सब्जियां, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफी, फल, मसाले, सूखे मेवे आदि शामिल हैं। ऑर्गेनिक खेती के मामले में मध्यप्रदेश सबसे आगे है उसके बाद राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा, सिक्किम और उत्तर प्रदेश हैं जहां पर ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया गया है।