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Indian National Congress : 'गुलाम' नबी की बगावत या राज्यसभा की छटपटाहट

Indian National Congress : 'गुलाम' नबी की बगावत या राज्यसभा की छटपटाहट

राज्यसभा में विपक्ष के नेता और पुराने कांग्रेसी <strong>'गुलाम'</strong> नबी आजाद से लेकर कपिल सिब्बल तक अचानक ही कांग्रेस पार्टी में असंतुष्ट नहीं हो गए हैं। पुराने कांग्रेसी नेताओं या <strong>old guards</strong> होने का तमगा लगाए एक पूरी जमात कांग्रेस की सुप्रीम लीडरशिप या यूं कहें कि नेहरू-गांधी परिवार के वारिसों पर सवाल खड़े करने लगी है। जबकि <strong>'गुलाम'</strong> नबी आजाद का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी का पूरा सांगठनिक ढांचा ध्वस्त हो गया है।

<strong>'गुलाम'</strong> नबी आजाद का कहना है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं का जिला और ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं से संपर्क टूट चुका है। कांग्रेस में फाइव स्टार कल्चर जोर पकड़ रहा है। लेकिन इससे कोई चुनाव जीतना कठिन है क्योंकि जमीनी हकीकत अलग होती है। जबकि कपिल सिब्बल ने भी बिहार विधानसभा चुनाव और कई राज्यों में हुए उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी को घेरा। कपिल सिब्बल ने बिहार में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद एक साक्षात्कार में कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को चुनाव में हार से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। जबकि आम कार्यकर्ता को इससे बहुत ज्यादा झटका लगता है। आम कार्यकर्ता को मायूसी होती है और जमीन पर उसकी स्थिति डांवाडोल हो जाती है।

कांग्रेस के असंतुष्टों के समूह को <strong>G-23</strong> कहा जा रहा है। इन सभी ने अगस्त में कांग्रेस अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर कई अहम मौकों पर पार्टी नेतृत्व की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए थे। उनकी बातें कांग्रेस पार्टी के हित में लग रही हैं। लेकिन जैसे ही कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाने वालों के निजी राजनीतिक करियर पर नजर दौड़एंगे तो साफ दिखेगा कि ये कांग्रेस पार्टी के हितों से ज्यादा अपने निहित स्वार्थों के लिए बेचैनी और छटपटाहट है। '<strong>गुलाम'</strong> नबी आजाद 70 के दशक से लगातार कांग्रेस के दम पर पूरे देश में मुस्लिम नेता बने हुए हैं। लगातार कैबिनेट मंत्री और थोड़े समय के लिए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
<h2><strong>'गुलाम' नबी को पार्टी से ज्यादा पद की फिक्र</strong></h2>
<strong>'गुलाम'</strong> नबी आजाद को अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। इन सबके बावजूद अब उनका राज्यसभा का कार्यकाल फरवरी 2021 में खत्म हो रहा है। उन्हें अब राज्यसभा जाने के लिए कहीं से कोई उपाय नहीं दिख रहा है। जबकि पार्टी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में अच्छा प्रदर्शन किया है। यहां से उनके लिए गुंजाइश बन सकती है। कपिल सिब्बल का भी कार्यकाल 2022 में खत्म होगा। कांग्रेस को जानने वालों का मानना है कि वह भी अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। सिब्बल अभी से राज्यसभा में अपना अगला कार्यकाल पक्का कर लेना चाहते हैं। कपिल सिब्बल 2016 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं।

पार्टी के जिन <strong>G-23</strong> असंतुष्टों ने पत्र लिखा है, वे सभी इस समय सोच रहे हैं कि कैसे उनको कोई पद या राज्यसभा मिले। क्योंकि राज्यसभा सदस्यता के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अचानक भाजपा का हाथ थाम लिया। जबकि उनके पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस में रहे और ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया था। इसी तरह सचिन पायलट भी राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भाजपा से हाथ मिलाते-मिलाते रह गए। क्योंकि उनकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं हो पाई।
<h2>आम कांग्रेस कार्यकर्ता का विचार</h2>
कांग्रेस पार्टी की <strong>अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (All India Congress Committee-AICC)</strong> के सदस्य और फैजाबाद के पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष <strong>अशोक कुमार सिंह</strong> का कहना है कि ये सभी पुराने नेता हैं और पार्टी के बल पर पिछले तीन दशकों से देश के महत्वपूर्ण पदों पर थे। अब पार्टी की स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है तो इन सभी लोगों को पार्टी नेतृत्व के पीछे रहकर डटकर उसका समर्थन करना चाहिए। राहुल गांधी पिछले कुछ समय से तमाम जमीनी मुद्दों पर संघर्ष कर रहे हैं। इन नेताओं ने उसका 10 प्रतिशत भी संघर्ष नहीं किया। इन लोगों का कोई विशेष जनाधार भी नहीं है।

सिंह का साफ कहना है कि ये सभी लोग पार्टी में अनुशासनहीनता फैला करके कार्यकर्ताओं के मनोबल को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी नेतृत्व को इन सभी लोगों को तत्काल बाहर करना चाहिए। जिससे कि पार्टी में अनुशासन कायम हो और कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल बढ़े। कांग्रेस और जनता के हित से ज्यादा इन सभी पुराने नेताओं को अपना स्वार्थ प्यारा है। ऐसे ही नेताओं के कारण कांग्रेस आज इस दुर्दशा में पहुंची है।.