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उत्तराखंड आपदाः नेवी की स्पेशल टीम कर रही ग्लेशियर से बनी लेक की जांच

तपोवन ग्लेशियर लेक की जांच कर रहे नेवी के गोताखोर। फोटो-आईएएनएस

भारतीय नौसेना के गोताखोरों (Navy Divers) की टीम अब उत्तराखंड के तपोवन (Uttarakhand Tapovan) में बनी लेक (Glacier Lake) की जांच कर रही है। यह टीम शनिवार को इस इलाके में गई थी। 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से चमोली जिले (Chamoli) के तपोवन-रैणी क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ के कारण 67 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं कई लोग अब भी लापता हैं। क्षेत्र में अभी भी बचाव कार्य चल रहा है। इस आपदा के बाद रैणी गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर ऋषिगंगा नदी (RishiGanga River) में एक झील बन गई है। ये वही जगह है जो बाढ़ का एपिसेंटर थी। इस झील का निरीक्षण करने के लिए नेवी के गोताखोरों को इंडियन एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर की मदद से समुद्र से 14,000 फीट की ऊंचाई पर उतारा गया। ऐसा इस झील की गहराई मापने के लिए किया गया था।

अब इस अहम डेटा का उपयोग वैज्ञानिक बांध की मिट्टी की दीवार पर दबाव का निर्धारण करने के लिए करेंगे। नेवी ने कहा है, "नेवी के गोताखोरों ने झील की गहराई नापने का काम ईको साउंडर उपकरण के जरिए जमे हुए पानी के पास किया। इस बेहद मुश्किल काम के दौरान भारतीय वायु सेना के पायलटों ने कठिन इलाके में भी अपनी स्थिति स्थिर बनाए रखी।"

हिमस्खलन के कारण 14,000 फीट की ऊंचाई पर ऋषि गंगा नदी पर बने इस झील के कारण प्रशासन के लिए जरूरी था कि वे गहराई मापकर जलग्रहण की स्थिति का आकलन करें। सड़क के रास्ते वहां पहुंचना मुश्किल था, लिहाजा इस काम में नेवी के गोताखोंरो को वहां तक पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद ली गई।