कोरोना संकट में जहां एक तरफ यात्री रेल सेवा बुरी तरह से प्रभावित हुई तो वहीं रेलवे ने कबाड़ की बिक्री कर अच्छी कमाई की है। इससे रेलवे को घाटा पूरा करने में मदद मिली है। खबरों की माने तो 2020-21 में रेलवे को कबाड़ की बिक्री से अब तक की सर्वाधिक 4575 करोड़ रुपए की कमाई हुई है।
रेलेव ने कबाड़ से कमाए 4,575 करोड़ रुपये
सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिले एक जवाब से पता चला कि 2020-21 में रेलवे को कबाड़ की बिक्री से अब तक की सर्वाधिक 4575 करोड़ रुपये की आय हुई है। इससे पहले 2010-11 में कबाड़ बेचकर रेलवे ने 4,409 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया था। मध्य प्रदेश के चंद्र शेखर गौड़ द्वारा आरटीआई कानून के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में रेलवे बोर्ड ने कहा कि कोविड-19 महामारी से प्रभावित 2020-21 में रेलवे को कबाड़ से पिछले साल की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक आय हुई है। रेलवे ने कहा कि 2019-20 में 4,333 करोड़ रुपये की कबाड़ सामग्री की बिक्री की गयी, जबकि साल 2020-21 में कबाड़ से 4,575 करोड़ रुपये की आमदनी हुई।
रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि, यह आंकड़ा 2020-21 के दौरान कोविड-19 महामारी और 2020-21 की पहली तिमाही में बिक्री की लगभग शून्य गतिविधि के बावजूद हासिल किया गया था। विशेष रूप से 2020-21 की अंतिम तिमाही के दौरान कबाड़ बिक्री को गति मिली। उन्होंने कहा कि, जोनल रेलवे में संबंधित विभागों के बीच सहयोग से ना केवल लक्ष्य प्राप्त किया गया बल्कि इसे पार भी किया गया। जोनल रेलवे के हिसाब से पश्चिम रेलवे द्वारा 491 करोड़ रुपए का उच्चतम आंकड़ा हासिल किया गया है।
इन्हें बेच कर रेलवे ने कमाया करोड़ों
कबाड़ में पुरानी पटरियां, पुराना ढांचा, पुराने इंजन एवं डिब्बों आदि चीजें शामिल होती है। तेजी से मार्ग के विद्युतीकरण, डीजल इंजनों को बदलने और कारखानों में निर्माण के दौरान भी कबाड़ सामग्री ज्यादा निकलती है। रेलवे के लिए पिछले कुछ वर्षों में यह आय का अच्छा स्रोत रहा है। रेलवे प्रवक्ता के अनुसार कबाड़ की बिक्री की प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए बेकार सामनों की नीलामी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से की गई है। रेलवे बोर्ड ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कबाड़ की बिक्री से 4,100 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है।