पाकिस्तानी हुक्मरान ख्याली पुलाव पका रहे हैं। जबकि <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/ex-pak-gen-akbar-khan-admitted-pakistani-army-and-government-actively-involve-in-kashmir-conspiracy-since-1947-14972.html"><span style="color: #339966;"><strong>पांचवीं जंग (Indo-Pak War)</strong></span></a> से पहले ही पाकिस्तानी एयरफोर्स ने सरेंडर कर दिया है। पाकिस्तानी एयरफोर्स चाइना मेड जेएफ 17 (JF17) को हैंगरों-बंकरों में भेज चुकी है अब फ्रांस के बने मिराज फाइटर जेट्स को हैंगर्स में भेजकर हाथ खड़े कर दिए हैं। मतलब यह कि पांचवीं जंग (Indo-Pak War) से पहले ही पाकिस्तानी एयरफोर्स ने सरेंडर कर दिया है। पाकिस्तानी एयरफोर्स का साफ संकेत है कि वो भारतीय एयरफोर्स का मुकाबला करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है।
दरअसल, पाकिस्तान की नेवी और एयरफोर्स को तगड़ा झटका फ्रांस ने दिया है। नतीजा यह है कि पाकिस्तान की एयर पॉवर पहले के मुकाबले आधी से भी कम रह गयी है। पाकिस्तानी एयर फोर्स के पास 85 मिराज लड़ाकू जहाज हैं। ये मिराज काफी पुराने हो चुके हैं। बिना अपडेट किए इनको उड़ाना या भारत से मुकाबले में उतरना अपनी मौत को दावत देना है। पाकिस्तान ने मिराज की निर्माता कंपनी से इन जहाजों की टेक्नोलॉजी को अपटडेट करने का आग्रह किया था। मगर उसने इंकार कर दिया।
फ्रांस ने पाकिस्तान के आग्रह को ठुकरा दिया है। इसी तरह पाकिस्तान के पास फ्रांस की बनी 5 अगस्ता सबमरीन भी 70 के दशक की हैं। फ्रांस ने इन सबमरींस को भी अपडेट करने से इंकार कर दिया है। चीन के साथ बनाए गए जेएफ 17 के इलेक्ट्रॉनिक-कम्युनिकेशन सिस्टम में खराबी सामने आ चुकी है। इसी वजह से पाकिस्तानी एयरफोर्स ने जेएफ 17 की दोनों स्क्वाडर्न को ग्राउंड कर दिया है।
कहने का मतलब यह है कि पाकिस्तानी एयरफोर्स के अधिकांश लड़ाकू जहाज हैंगरों में खड़ें हैं। पांचवीं जंग (Indo-Pak War) में इन को उड़ाना फिदाईनी कदम से कम नहीं है। अपनी नेवी और एयरफोर्स की हालत पतली देख पाकिस्तान को पसीना आने लगा है। बाजवा और इमरान खान ने पुरानी रणनीति पर लौटते हुए सारे संसाधनों को प्रॉक्सी वॉर में झौंक दिया है।
कल्पना कीजिए कि भारत-पाक में जंग छिड़ जाती है और तो क्या होगा? पाकिस्तान के हालात 1971 से भी बदतर हो जाएंगे। 1971 में भारत के पलटवार पाकिस्तान बुरी तरह डर गया था। पाकिस्तान ने अपनी एयरफोर्स के लड़ाकू जहाजों को ईरान के बंकरों में छिपा दिए थे। मगर अब पाकिस्तान को न तो ईरान में शरण मिलेगी और न चीन जाने का रास्ता ही मिलेगा। चीन जाने वाला रास्ता भारत ने बंद कर रखा है। और ईरान के साथ पाकिस्तान के संबंध 1971 वाले नहीं रहे हैं।
भारत ने 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान के 1850 वर्ग किलोमीटर कब्जा कर लिया था। इसके साथ ही 99 हजार फौजियों को बंदी बना लिया था। भारत की दरियादिली थी कि 99 हजार बंदियों के साथ 1850 वर्ग किलोमीटर भी पाकिस्तान को लौटा दिया था। क्या मौजूदा भारतीय नेतृत्व ऐसा करेगा…जवाब होगा 'हरगिज नहीं'…!
दरअसल, पैगंबर कार्टून विवाद में तुर्की के इशारे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की फ्रांसीसी राष्ट्रपति की आलोचना से नाराज होकर पेरिस ने पाकिस्तान को किसी भी तरह की सैन्य मदद देने से इनकार कर दिया है। फ्रांस ने केवल पाकिस्तान के जहाजों और पनडुब्बी को ही अपडेट करने से मना नहीं किया है बल्कि कतर को सख्त चेतावनी दे डाली है कि पाकिस्तानी ही नहीं बल्कि पाकिस्तान मूल के टेक्नीशियंस को भी फ्रांसीसी विमानों पर काम करने की अनुमति दी गई तो उसके साथ भी पाकिस्तान जैसा व्यवहार करेगा।
इमरान खान ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां के धर्म का मजाक उड़ाने के अधिकार के बचाव की आलोचना की थी। यही नहीं फ्रांस ने राफेल जेट उड़ाने वाले कतर से कहा है कि वह पाकिस्तानी मूल के तकनीकी विशेषज्ञों को इस लड़ाकू विमान के साथ काम करने की अनुमति नहीं दे। फ्रांस को आशंका है कि पाकिस्तानी टेक्निशियन राफेल के बारे में खुफिया जानकारी पाकिस्तान को लीक कर सकते हैं।
भारत ने हाल ही में फ्रांस से राफेल जेट खरीदा है। इनमें से कई विमान भारत पहुंच भी गए हैं। पाकिस्तान सैन्य जानकारी को चीन को देने के लिए पूरी दुनिया में बदनाम है। यही नहीं फ्रांस ने शरण मांगने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को बहुत कड़ी जांच के बाद ही अनुमति दे रहा है। इससे पहले एक पाक मूल 18 साल के अली हसन ने पैगंबर का कार्टून छापने वाली शार्ली आब्दो मैगजीन के पुराने कार्यालय के बाहर दो लागों को चाकू मार दिया था।
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