मध्य प्रदेश के शहर इंदौर ने एक और कमाल कर दिया है। स्वच्छता में इंदौर लगातार नंबप वन है अब एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। इंदौर देश की पहली वाटर प्लस सिटी होने का गौरव हासिल किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता के प्रति अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण के लिए इंदौर पूरे देश के लिए एक मिसाल रहा है. ये सब कुछ नदियों में सिवरेज को जाने से रोकने का बाद संभव हुआ है। शहर में हर दिन 312 एमएलडी पानी साफ हो रहा है। इंदौर ने 250 शहरों को मात देकर वाटर प्लस सिटी के लिए तय सभी 12 मापदंडों पर खरा उतरा है। इंदौर नगर निगम को इसमें 100 फीसदी अंक मिले हैं।
दरअसल स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए अब वॉटर प्लस सर्वे भी हो रहा है. इसके लिए जुलाई में केंद्र की एक टीम इंदौर आई थी. केंद्र की टीम ने 11 पैरामीटर्स पर सर्वे शुरू किया था. तीन-चार दिन तक चले इस सर्वे के दौरान करीब 200 से ज्यादा जगहों का मुआयना किया था. इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया, वॉटर प्लस प्रोटोकॉल की गाइडलाइंस के अनुसार, इंदौर नगर निगम (IMC) ने 25 छोटे-बड़े नालों में 1,746 पब्लिक और 5,624 घरेलू सीवर आउटफॉल की टैपिंग कर नदी-नालों को सीवर से मुक्त किया था. नगर निगम ने काल्ह और सरस्वती नदी को भी सीवर लाइन से फ्री किया था.
इंदौर को ये उपलब्धि दिलाने में लोगों का भी काफी योगदान है। लोगों ने अपने घर की साज और सज्जा खराब कर नाले में गिरने वाले सिवरेज को अपने खर्च पर लाइन से जोड़ा है। ऐसा शहर के 5624 लोगों ने किया है। इसमें करीब 20 करोड़ रुपये का खर्च आया, जिसे लोगों ने अपनी जेब से किया है। बता दें कि वाटर पल्स सिटी के खिताब के लिए देश के 84 शहरों ने हिस्सा लिया था। केंद्रीय नगर विकास विभाग की तरफ से तय किए गए मापदंड पर 33 शहरों को जमीनी सत्यापन में उचित पाया गया है।