गजब संयोग है। कुछ दिन पहले एक पाकिस्तानी जनरल कहता है कि ईरान सबसे बड़ा दुश्मन है। पाकिस्तानी फौज ईरानियों को घर में घुस कर मारेगी। लेकिन खबर इसके उलट आती है कि ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। कई पाकिस्तानी फौजियों का मार गिराया। इतना ही नहीं रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने 2018 से बंधक बनाकर रखे अपने साथियों को भी छुड़ा लिया। ये दोनों खबरें ऐसी हैं जो दुनिया में तहलका मचाने के लिए काफी हैं, लेकिन दोनों ही खबरों पर ईरान और पाकिस्तान दोनों चुप्पी साध गए हैं। पाकिस्तानियों का तो समझ में आता है, कि वो मार खाने के बाद कपड़े झाड़ते हैं और ऐसे चलते हैं कि हवा का झोका भी नहीं लगा। मगर ईरान क्यों चुप है। ये बड़ा सवाल है।
ईरान को सबसे बड़ा दुश्मन बताने वाले पाकिस्तानी जनरल का नाम अयमान बिलाल है और वो इस समय बलूचिस्तान में तैनात है। खास बात यह कि जनरल अयमान बिलाल का बयान बांग्लादेश के लीडिंग अखबार ‘डेली सन’में प्रकाशित हुआ है। जबकि पाकिस्तान में ईरान की सर्जिकल स्ट्राइक की खबर इमरान खान के जिगरी दोस्त एर्दोगान के देश की मीडिया ने दी। टर्की की समाचार एजेंसी‘एनादोलू’ने बस इतनी खबर दी कि ईरान ने पाकिस्तान में घुस कर कोई बड़ा ‘आपरेशन’किया, और बंधकों को मुक्त करा लिया।
बात यहीं खत्म नहीं होती है। इसके तुरंत बाद पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का बयान आता है कि पाकिस्तान के सुरक्षित भविष्य के लिए शांति की स्थापना करनी चाहिए। हमें हर तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहिए। जनरल बाजवा के बयान का मतलब निकाला गया कि वो भारत के साथ शांति और सद्भाव का व्यवहार चाहते और भारत से वार्ता शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि बाजवा की चिंता केवल इंडियन बॉर्डर नहीं बल्कि ईरानी बॉर्डर ज्यादा है। दरअसल, बाजवा कबूतर की चोंच में ऑलिव ब्रांच लगाकर आसमान में छोड़ना नहीं चाहते बल्कि उसका शिकार करना ही उनकी मंशा है। क्योंकि बाजवा की मंशा में खोट न होती तो शांति के बयान के बाद कश्मीर बॉर्डर पर पाकिस्तानी आर्मी सीज फायर का उल्लंघन न करती।
जनरल बाजवा की मंशा को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बिल्कुल साफ कर दिया। शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तानी अखबार ‘Express Tribune’को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि ‘कश्मीर’पाकिस्तान का कोर इश्यू है। इस मुद्दे को पाकिस्तान कभी छोड़ ही नहीं सकता। ऐसा माना जा रहा है कि जनरल बाजवा के शांति वाले बयान से इमरान खान की सरकार बुरी तरह कांप गई। इसलिए उन्होंने बाजवा के बयान की भरपाई करने के लिए शाह महमूद कुरैशी को आगे कर दिया। लेकिन कुरैशी ने पाकिस्तान में ईरानी फौज के ‘ऑपरेशन’पर एक शब्द भी नहीं बोले।
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि पाकिस्तान के भीतर ईरानी ‘ऑपरेशन’के दो दिन बाद ही ईरान के रक्षा मंत्री अमीर हातमी भारत आते हैं। हातमी ने तेहरान से दिल्ली को उड़ान भरने से पहले ही कह दिया था कि दोनों देशों के ‘डिफेंस सिक्योरिटी’इश्यू एक जैसे हैं। दोनों देश न केवल एक दूसरे को सहयोग कर रहे हैं बल्कि अब इस सहयोग का विस्तार किया जाएगा। यहां यह बताना जरूरी है कि जिस तरह पाकिस्तानी गिरोह जैश-ए-मुहम्मद चोरी-छिपे घुस कर कश्मीर में आतंकी हरकतें करता है उसी तरह जैश-ए-आदल नाम का पाकिस्तानी आतंकी गिरोह ईरानी सीमा के भीतर हरकतें करता है। ऐसा समझा जाता है कि ईरानी रक्षा मंत्री अमीर हातमी और राजनाथ सिंह ने पाकिस्तानी आतंकियों से निपटने की रणनीति पर भी चर्चा की है। पाकिस्तान की सरकार और फौज राजनाथ सिंह और अमीर हातमी की मुलाकात के भावी नतीजों को लेकर घबराई हुई है। यह घबराहट अफगान मुद्दे पर भी ईरान भारत को समर्थन कर रहा है।