क्या भारत के स्कूलों में मुगलों को लेकर गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है? क्या स्कूली किताबों में मुगलों की क्रूरता के विपरीत उनकी उदारवादी छवि दिखाने की कोशिश की गई है? क्या इतिहासकारों ने मध्यकालीन इतिहास के बारे में जानबूझकर छेड़छाड़ की है? या फिर मुगल शासकों की उदारवादी छवि दिखाने के पीछे कोई खास वजह रही है? इन सारे सवालों को लेकर बड़ी बहस शुरू हो गई है। एनसीईआरटी की किताबों में मुगलकालीन इतिहास के बारे में जो पढ़ाया जा रहा है उस पर एक आरटीआई लगाई गई। इस आरटीआई की जो जवाब आया है वो बहुत चौंकाने वाला है।
दरअसल, एनसीईआरटी की 12वीं क्लास की हिस्ट्री की बुक में थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री पार्ट-टू में मुगलशासकों की तरफ से युद्ध के दौरान मंदिरों को ढहाए जाने और बाद में उनकी मरम्मत कराए जाने का जिक्र है। इस संबंध में शिवांक वर्मा नामक के एक्टिविस्ट ने एनसीईआरटी से आरटीआई के जरिये कुछ जानकारी मांगी थी। इस सवाल का जवाब देने की बजाय दो टूक शब्दों में कह दिया गया कि विभाग के पास मांगी गई जानकारी के संबंध में फाइल में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।
एनसीआरटी के इस तरह के जवाब से ही सवाल उठा कि क्या एनसीईआरटी की हिस्ट्री की बुक्स में आधारहीन इतिहास पढ़ाया जा रहा है। एनसीईआरटी (NCERT) की 12वीं क्लास की हिस्ट्री की बुक में थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री पार्ट-टू के पेज 234 पर दूसरे पैरा में दी गई जानकारी का सोर्स पूछा गया था। इस पैरा में लिखा गया है कि जब युद्ध के दौरान मंदिरों को ढहा दिया गया था बाद में शाहजहां और औरंगजेब ने इन मंदिरों की मरम्मत के लिए ग्रांट जारी किया था। मतलब हिंदु मंदिरों की मरम्मत के लिए पैसा दिया था।
इसी आरटीआई में दूसरा सवाल था कि औरंगजेब और शाहजहां ने कितने मंदिरों की मरम्मत कराई थी। एनसीईआरटी ने दोनों सवालों का एक जैसा जवाब दिया। 18 नवंबर 2020 को जारी पत्र के अनुसार कहा गया कि मांगी गई सूचना विभाग की फाइलों में उपलब्ध नहीं है। जिस पत्र के माध्यम से आरटीआई का जवाब दिया गया है कि उस पर 'हेड ऑफ डिपार्टमेंट एंड पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर प्रो. गौरी श्रीवास्तव के दस्तखत हैं।
आरटीआई के जवाब वाला यह लेटर सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा है। हालांकि, इस बारे में दिल्ली या संघीय सरकार (यूनियन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया) की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।.