ऐसी परंपरा है कि देश के बड़े लोग अपने नाम, चिन्ह चित्र और कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों का एक कैप्सूल बनाकर किसी खास जगह पर जमीन की गहराई में दबा देते हैं। ताकि भविष्य में कभी खुदाई हो तो बीते समय की सच्चाई लोगों के सामने आ सके। सन् 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 15 अगस्त को लाल किले में एक टाइम कैप्सूल को दिल्ली के लाल किले में जमीन की गहराईयों में डलवाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi)हमेशा लीग से हटकर काम करने के लिए मशहूर हैं। इसलिए उनके जीवन से जुड़ी जानकारियां जमीन की गहराईयों में नहीं बल्कि अनंत आकाश में रहेंगी। जी, हां यह इतिहास इसी महीने की आखिरी 28 तारीख को लिखा जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार फरवरी के आखिर में लॉन्च होने वाले इसरो (ISRO)की सतीश धवन सैटेलाइट (SD SAT) में भगवद गीता की एक कॉपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर और 25,000लोगों के नामों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा। इस सैटेलाइट को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल (PSLV) C-51के जरिए 28फरवरी को लॉन्च किया जाना है।
इस नैनोसेटेलाइट का नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक पिताओं में से एक के नाम पर रखा गया है और स्पेसकिड्ज इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। स्पेसकिड्ज छात्रों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक संगठन है। इस सैटेलाइट में तीन वैज्ञानिक पेलोड भी ले जए जाएंगे। इनमें से एक अंतरिक्ष विकिरण का अध्ययन करने के लिए, एक मैग्नेटोस्फीयर का अध्ययन करने के लिए, और एक कम बिजली चौड़े क्षेत्र के संचार नेटवर्क का प्रदर्शन करेगा।