उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि इतिहास के सम्पूर्ण प्रामाणिक यथार्थ को समग्रता में प्रकाश में लाने की आवश्यकता है। उन्होंने आज अपने सरकारी निवास पर आयोजित समारोह में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आई एन ए ट्रस्ट के सहायक सदस्य डॉ. कल्याण कुमार डे द्वारा लिखित पुस्तक ‘नेताजी – इंडियाज इंडिपेंडेंस एण्ड ब्रिटिश आर्काइव्स’ का लोकार्पण किया।
उन्होंने कहा कि पुस्तक में स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान नेताजी की महत्वपूर्ण भूमिका से सम्बन्धित प्रामाणिक दस्तावेजों का संकलन है जिससे युवा पीढ़ी को परिचित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के क्रान्तिकारियों के अमर बलिदानों को स्कूली पाठयपुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के कई आयाम और पहलू थे, जिनसे युवा पीढ़ी को अवगत कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा,’भारत के विभिन्न हिस्सों के कई लोगों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनसे जुड़ी जोशपूर्ण गाथाओं पर भी प्रकाश डाला जाना चाहिए।‘
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वाधीनता आंदोलन के दौरान नेताजी का साहसी और ओजस्वी नेतृत्व युवाओं के लिए अनुकरणीय प्रेरणा का स्रोत था। पुस्तक में शामिल दस्तावेजों से यह प्रमाणित होता है कि नेताजी द्वारा आईएनए के गठन तथा जनता में उसकी बढ़ती लोकप्रियता से अंग्रेज घबरा गए थे और भारत की स्वतंत्रता में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
उन्होंने कहा कि नेताजी का दृढ़ विश्वास था कि महान राष्ट्र अपनी नियति स्वयं बनाते हैं और यही विश्वास उन्होंने जनता में भी जगाया। नेताजी को भारत की सभ्यतागत सांस्कृतिक विरासत पर विश्वास था। उनका मानना था कि हम सबसे पहले भारतीय हैं, धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र की पहचान गौण हैं।
नायडू ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने देश के लिए एक आत्मनिर्भर सुदृढ़ अर्थव्यवस्था की आवश्यकता को रेखांकित किया है। उन्होंने निजी क्षेत्र, बुद्धिजीवियों सहित सभी का आह्वान किया कि वे आत्मनिर्भरता के लिए अभियान को सफल बनाने में अपनी महती भूमिका निभाएं।.