जम्मू-कश्मीर में डीडीसी ( Jammu-Kashmir DDC) इलेक्शन के नतीजों ने साफ कर दिया है कि वहां जम्हूरियत (डेमोक्रेसी) ही राज करेगी। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आरोप लग रहे थे कि सरकार ने डेमोक्रेसी खत्म कर दी। जम्मू-कश्मीर के लोगों के मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगा दिया गया है। ये आरोप खास तौर से पाकिस्तान से लगाए जा रहे थे। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के मुंह पर तो ऐसा तमाचा जड़ दिया है। अगर इमरान खान की आंखों में जरा भी शर्म होगी तो वो कश्मीर पर स्यापा करना बंद कर देंगे, और सीमा पार से हो चल रही नापाक हरकतों को बंद कर देंगे।
डीडीसी ( Jammu-Kashmir DDC) इलेक्शन के नतीजों से दुनिया भर के देशों को संदेश चला गया है कि <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/ddc-poll-wife-of-former-terrorist-contesting-ddc-election-know-how-his-jammu-and-kashmir-will-be-21677.html"><span style="color: #000080;"><strong>जम्मू-कश्मीर</strong> </span></a>में भारत सरकार के कदम लोकतंत्र की रक्षा और पाकिस्तान के नापाक इरादों को रोकने के लिए ही थे। राज्य का पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 को हटाना स्थानीय लोगों के हित में ही था। डीडीसी ( Jammu-Kashmir DDC) इलेक्शन में लगभग 60 फीसदी मतदाताओं की हिस्सेदारी और चुनाव नतीजों में बीजेपी का सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरना भी यह साबित करता है कि जम्मू-कश्मीर की जनता सरकार के कदमों से खुश है। जम्मू-कश्मीर के लोग भी देश के बाकी हिस्सों की तरह विकास चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर ने लोगों का वोट विकास के लिए वोट दिया। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने वोट बदलाव के लिए वोट दिया।
आज से 40 साल पहले <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Atal_Bihari_Vajpayee"><span style="color: #000080;"><strong>अटल बिहारी बाजपेई</strong> </span></a>ने कहा था कि 'मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं, अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।' अटल बिहारी बाजपेई की वो भविष्यवाणी ने केवल घाटी बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर के बारे में सच सबित हुई है। श्रीनगर की बलहामा सीट से इंजीनियर एजाज हुसैन, बांदीपोरा की तुलैल से एजाज अहमद और पुलवामा के काकापोरा से मुन्हा लतीफ की शक्ल में बीजेपी की जीत विरोधियों के यह बताने के लिए काफी है कि सरकार के कदम सही दिशा में बढ़ रहे हैं। ध्यान रहे, बीजेपी जहां 75 सीट हासिल के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी है तो वहीं गुपकार गठबंधन को सबसे ज्यादा 109 सीटें मिलीं है। गुपकार गठबंधन सात पार्टियों का संगठन है। इसके बावजूद गुपकार गठबंधन बहुमत के आंकड़े के आस-पास भी नहीं पहुंच सका। वहीं दूसरे नंबर पर रहने वाले बीजेपी के प्रत्याशी बहुत मामूली अंतर से ही हारे हैं। उनकी हार भी जीत के समान है।.