जम्मू एयरफोर्स स्टेशन के टेक्निकल एरिया में रविवार की सुबह 5 मिनट के गैप में दो विस्फोटों को अंजाम दिया गया। यह पहली बार है जब देश ड्रोन के जरिए हमला किया गया। वायुसेना का कहना है कि दोनों ही धमाकों की इंटेसिटी बहुत कम थी और पहला धमाका छत पर हुआ, इसलिए छत को नुकसान पहुंचा है, लेकिन दूसरा धमाका खुली जगह पर हुआ जिससे दो जवान घायल हुए।
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने जम्मू में इंडियन एयरफोर्स (IAF) स्टेशन में हुए धमाके को आतंकवादी हमला बताया है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि ड्रोन के जरिए IED धमाका किया गया है। दिलबाग सिंह ने कहा है कि ड्रोन को ही IED बम के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। घटनास्थल से इसके टुकड़े बरामद हुए हैं। डीजीपी ने यह भी कहा है कि हमले की साजिश सीमा पार (पाकिस्तान) से रची गई है और इसे अंजाम देने वाले सीमा के भीतर ही मौजूद हैं। पुलिस, आईएएफ और दूसरी एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं। अभी तक दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
आपको बता दें कि 2016 में जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन से जुड़े होने के संदेह में चार से छह आतंकवादियों ने पठानकोट एयरबेस पर आत्मघाती हमला किया था। इसके बाद का ऑपरेशन 36 घंटे से अधिक समय तक चला था, जिसमें पांच हमलावर मारे गए थे, और सुरक्षा बल के तीन जवानों की भी जान चली गई थी।
जम्मू हवाईअड्डे और अंतरराष्ट्रीय सीमा के बीच हवाई दूरी 14 किलोमीटर है। जांच में जुटे अधिकारी दोनों ड्रोन के हवाई मार्ग का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय ने बताया कि उन्होंने वायुसेना के उपप्रमुख एयर मार्शल एचएस अरोड़ा से विस्फोटों के संबंध में बात की। भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया कि जम्मू वायुसेना स्टेशन के तकनीकी क्षेत्र में रविवार तड़के "कम तीव्रता वाले दो विस्फोट" होने की सूचना मिली। ट्वीट में कहा गया, ''इनमें से एक विस्फोट में एक इमारत की छत को मामूली नुकसान पहुंचा, जबकि दूसरा विस्फोट खुले क्षेत्र में हुआ। किसी भी उपकरण को कोई नुकसान नहीं हुआ। असैन्य एजेंसियों के साथ मिलकर जांच की जा रही है।'' इसमें कहा गया कि एयर मार्शल विक्रम सिंह स्थिति का जायजा लेने जम्मू पहुंच रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान और वहां की जमीन से चलने वाले आतंकी संगठन ड्रोन के जरिए भारत में हथियार, असलहा-बारूद गिराने का काम कर रहे हैं। अब तक कई भारतीय सुरक्षाबल और एजेंसियां पाकिस्तान के इस मंसूबों को नाकाम कर चुकी है। ये चलन जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद और ज्यादा बढ़ गया है।