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Kanpur Violence का मास्टरमाइंज जफर हयात हाशमी गिरफ्तार, सिर्फ इन सात पुलिस कर्मियों ने रोक दिया हजारों की भीड़ को

हिंसा भड़काने के लिए पहले से ही Kanpur Violence का मास्टरमाइंज जफर हयात हाशमी रचा था साजिश

Violence in Kanpur: कानपुर हिंसा इस वक्त तूल पकड़ रही है। विपक्षी दल जमकर गर्म तवे पर रोटियां सेक रहे हैं। यहां बाजार बंदी की आड़ में हजारों लोग जुट गए और साजिश रचकर बवाल मचाया। इसके साथ ही जबरन दुकानें बंद करा दी गई। इस साजिश की भनक पुलिस और प्रशासन तक को नहीं लगी। पुलिस ने जांच की तो बड़ी साजिश सामने है, क्योंकि, बिना प्लान के इतना बड़ा बवाल होना संभव नहीं है। ये साजिश भाजपा प्रवक्ता के बयान के बाद रचनी शुरू हुई थी। इसके लिए इलाकों में बकायदा पोस्टर चस्पा करने के साथ ही पर्चे तक बाटें गए, जिसमें तीन तारीख को आह्वान किया गया था। भाजपा प्रवक्ता के बायन के बाद हयात जफर हाशमी (Zafar Hayat Hashmi) ने तीन जून को बाजार बंद करने का एलान किया था और यही इस दंगे का मास्टरमाइंड भी है।

मास्टरमाइंड जफर हयात हाशमी (Kanpur Violence Mastermind Zafar Hayat Hashmi) को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस सूत्रों की माने तो, मुख्य आरोपी जाफरी को गिरफ्तार कर पूछताछ चल रही है। जफर हयात हाशमी ने फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों को कानपुर में बाजार बंद करने और जेल भरो आंदोलन की अपील की थी। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद जिस प्रकार से कानपुर में हिंसा भड़की, उस मामले में पुलिस ने जफर हयात हाशमी को जिम्मेदार ठहराया है।

हयात जफर हाशमी का नाम पहले भी आ चुका है। CAA हिंसा में भी ये शामिल था (Zafar Hayat Hashmi Link with CAA Violence) उसमें इसने लोगों को भड़काने का काम किया। एक दो मामलों में उसपर केस भी दर्ज किए गए लेकिन, कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई. इस मामले में भी जिस तरह से वह कह रहा है कि, उसने बाजार बंद का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था वह भी सवालों के घेरे में है। क्योंकि पहले बुलाना फिर अचानक कार्यक्रम रद्द करना ऐसा लगता है कि ये भी साजिश है, जिससे वह बच भी जाए और बवाल भी हो जाए। अब वह हाथ पीछे खींच रहा है। जबकि उपद्रवियों ने तय तारीख पर बवाल कर दिया है।

जांबाज सात पुलिस कर्मी

बता दें कि, कानपुर में जब चंद्रेश्वर हाते के बाहर बवाल हो रहा था तब वहां सिर्फ सात पुलिसकर्मी ही मौजूद थे, जिसमें से एक सीओ, पांच सिपाही व गनर था। आंदोलनकारी ज्यादे थे और पुलिस सिर्फ 7 ऐसे में भी पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने में सफल रही। पुलिस को पता था कि अगर भीड़ परेड चौराहे तक पहुंच जाती तो बवाल और भी बड़ा होता। पुलिस को इतने बड़े बवाल का अंदाजा ही नहीं था। जब सामने से हजारों की भीड़ आते देख सबसे पहले वहां लोहा लेने के लिए एसीपी अनवरगंज मोहम्मद अकमल खां मौके पर पहुंचे। उग्र भीड़ को देखते हुए वह बेकनगंज थाने की जीप के पीछे चार सिपाहियों के साथ दौड़ पड़े। उन्होंने उपद्रवियों से मोर्चा लिया और सिपाही के साथ मिलकर लाठीचार्ज शुरू किया, जिससे कि एक जगह इकट्ठा न हो पाए।