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kargil vijay diwas 2021: भारत मां के सपूतों की वीरगाथा, देखिए ‘ऑपरेशन विजय’ की कहानी

kargil vijay diwas 2021: भारत मां के सपूतों की वीरगाथा

कारगिल युद्ध भारतीय सेना की अद्भुत शौर्य गाथा को दर्शाता है। इस युद्ध में सैकड़ों वीर जवानों ने अपनी शहादतें देकर राष्ट्र की एकता व अखंडता को बरकरार रखा। 22 साल पहले 26 जुलई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व है। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की पहाड़ियों में लड़ी गई इस लड़ाई की शुरुआत पाकिस्तानी सैनिकों ने की थी लेकिन अतं में उन्हें भारतीय सैनिकों ने खदेड़ कर जीत हासिल की।

पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी दिए बिना तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई थी। और पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना की कारगिल में सभी चौकियों पर कब्जा कर लिया था। 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए इन चौकियों पर भारतीय सैनिकों ने वापस कब्जा कर लिया।

ऑपरेशन विजय

ठंड के मौसम में जब भारतीय सैनिक नीचे की ओर चले आए तो इसी का फायदा उठाते हुए पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर सभी चौकियों पर अपना कब्जा जमा लिया। इसके साथ ही कई बंकर और पहाड़ों में छुपकर घात लगाकर बैठ गए। भारतीय सेना ने स्थानीय चरवाहों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर घुसपैठ वाले सभी स्थानों का पता लगाया और फिर यहीं से शुरूआत हुई 'ऑपरेशन विजय' की।

अधिक ऊंचाई होने के कारण पाकिस्तान की सेना को शुरूआत में फायदा मिला क्योंकि, भारतीय सेना नीचे की ओर से ऊपर जा रही थी और वो ऊपर बैठे हुए पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी आसानी से भारतीय सेना को देख सकते थे। लेकिन भारतीय सैनिकों का बनोबल टूटा नहीं बल्कि उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। पहाड़ों के पीछे की ओर से चढ़ाई करते हुए भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के सेनाओं को चुन चुन कर मारा और जीत का परचम लहरा दिया। सेना ने फिर 26 जुलाई, 1999 को घोषणा करते हुए बताया कि ऑपरेशन विजय सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। इस जंग में भारत मां के 527 सपूत शहीद हुए थे।

कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को शुरुआत में काफी सफलता मिली क्योंकि, पाक सैनिक और आतंकवादी कारगिल के ऊंचे पहाड़ों पर घुसपैठ करके ठिकाने बना लिए थे। हालांकि, यह काफी देर तक नहीं चल पाया। वहीं, इस युद्ध में जह पाकिस्तान कमजोर पड़ने लगा तो अमेरिका के पास मदद मांगने के लिए लेकिन वहां से उसे मुंह की खानी पड़ी। पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से बात की थी। लेकिन क्लिंटन ने साफ कहा कि वह ऐसा तब तक नहीं करेंगे, जब तक पाकिस्तानी सैनिकों को नियंत्रण रेखा से पीछे नहीं हटा लिया जाता। फिर जैसे ही पाकिस्तानी सैनिक पीछे हटे, भारतीय सैनिकों ने बाकी चौकियों पर हमला कर दिया और 26 जुलाई तक उनमें से आखिरी चौकी को भी वापस पाने में कामयाब रहे।

वीरता पुरस्कार से सम्मानित हुए जवान

अठारहवीं बटालियन, द ग्रेनेडियर्स के सैनिक ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव को परमवीर चक्र से नवाजा गया।

प्रथम बटालियन, 11 गोरखा राइफल्स के लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे को मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया।

तेरहवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर राइफल्स के कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया।

तेरहवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर राइफल्स के राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र दिया गया।

17 जाट रेजीमेंट के कैप्टन अनुज नायर को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

18 ग्रेनेडियर्स के मेजर राजेश सिंह अधिकारी को मरणोपरांत महावीर चक्र दिया गया।

11 राजपुताना राइफल्स के कैप्टन हनीफ उद्दीन को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया।

वन बिहार रेजिमेंट के मरियप्पन सरवन को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया।

जम्मू कश्मीर पैदल सेना की 8वीं बटालियन के सैनिक हवलदार चुन्नी लाल को वीर चक्र और सेना पदक दिया गया। वह 2007 में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। जिसके बाद उन्हें नायब सूबेदार के रूप में मरणोपरांत अशोक चक्र भी नवाजा गया।