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कश्मीरियों के दिलों तक पहुंचने के लिए मनोज सिन्हा ने हेलिकॉप्टर छोड़कर पकड़ी सड़क

जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कश्मीरियों के दिलों तक पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर छोड़कर  सड़क मार्ग से चलने को प्राथमिकता देना शुरू किया है। सुरक्षा चिंताओं के बावजूद सिन्हा ने जनता तक संपर्क को व्यापक करने के अपने अभियान को शुरू करने के लिए कई प्रोटोकॉल तोड़ दिए हैं।

श्रीनगर के राजभवन में उनके पदभार संभालने के 10 दिनों के अंदर ही कश्मीर के लोग उन्हें जमीनी पर देख पा रहे हैं। सिन्हा सड़क मार्ग से ही सुनसान इलाकों से गुजरते हुए परियोजनाओं का निरीक्षण कर रहे हैं। वह एक ओर कई प्रतिनिधिमंडलों के साथ बैठक कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गलतियों पर अधिकारियों की खिंचाई भी कर रहे हैं।

यह पहली बार है कि केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल ने अपने हेलीकॉप्टर को छोड़कर इलाके भर में सड़क मार्ग से चलने का फैसला किया है, ताकि लोगों के साथ परिचय हो सके। उनकी कार्यशैली चकरा देने वाली रही है। उनकी काम करने की शैली शीर्ष सहयोगियों, नौकरशाहों और अधिकारियों के लिए भी नई है।

सिन्हा के आने के दो दिनों के भीतर पहला आश्चर्य देखने को मिला, जब सुरक्षा चिंताओं के बावजूद उन्होंने श्रीनगर के सबसे बड़े और सबसे अधिक भीड़भाड़ वाले एसएमएचएस अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने अपने जनता तक पहुंचने के अभियान को शुरू करने का इसे एक प्रमुख बिंदु बनाया। पिछले दो वर्षों में सरकार के केवल कुछ शीर्ष अधिकारियों ने ही इस अस्पताल का दौरा किया था।

6 फरवरी, 2018 को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का खूंखार कमांडर नवेद एसएमएचएस अस्पताल में हिरासत से भाग निकला था, जहां उसे एक मेडिकल परीक्षण के लिए ले जाया गया था। यह अस्पताल श्रीनगर में एक भीड़भाड़ वाले इलाके में स्थित है।

पिछले पांच महीनों में कोरोनावायरस महामारी के कारण चिकित्सा आपातकाल के बावजूद, शीर्ष अधिकारियों को शायद ही कभी अस्पताल का दौरा करते देखा गया। पिछले वर्ष पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद पनपे हालातों के बीच अधिकारी यहां का दौरा करने से बचते रहे हैं। सिन्हा को रोगियों और उनके परिजनों के साथ अविश्वसनीय रूप से बातचीत करते और डॉक्टरों के साथ स्थिति की समीक्षा करते देखा गया है, जो कि काफी अच्छा संकेत माना जा सकता है।

मंगलवार को ग्रामीण कश्मीर का सिन्हा का पहला दौरा किसी आश्चर्य से कम नहीं था। बुलेटप्रूफ कारों का उनका काफिला राजभवन से डल झील के उत्तरी फॉरेस्ट रोड से होकर देहाती इलाकों और कंगन तक पहुंचा। अचानक ही उनका काफिला श्रीनगर और गांदरबल जिलों के बीच तेंगानबल में रुक गया। काफिला उस जगह से दूर नहीं था, जहां सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो जवानों ने इस साल मई में एक आतंकी हमले में शहादत दी थी।

सिन्हा ने मुख्य सचिव बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम के साथ पांडच से वायल तक 20 करोड़ रुपये की सड़क-चौड़ीकरण परियोजना का निरीक्षण किया, जो पिछले छह वर्षों से आगे नहीं बढ़ पा रही है। गांदरबल में एक आधिकारिक बैठक में, उपायुक्त शफकत इकबाल ने सुस्त परियोजनाओं और अन्य सरकारी योजनाओं पर एक पावरप्वाइंट प्रस्तुति (प्रजेंटेशन) दी।

लेकिन उनके पास इस बात का कोई ठोस जवाब नहीं था कि लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड, आधार लिंकिंग व गरीबी रेखा से नीचे की आबादी के लिए अन्य सेवाओं के साथ ही लोकप्रिय सार्वजनिक सेवाओं से वंचित क्यों रहना पड़ा।

सिन्हा ने इससे आगे श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर कंगन के लिए रास्ता तय किया, जहां उन्होंने निमार्णाधीन मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल का निरीक्षण किया। जिसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से 42.5 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की गई है। इस दौरान उन्होंने कई जन प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। कुल मिलाकर, उन्होंने 12 परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिन पर 55 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने वर्चुअल (ऑनलाइन) तरीके से तीन नई परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी।

इसके अलावा उप-राज्यपाल ने तुलमुल्ला में श्रद्धेय माता खीर भवानी मंदिर जाने का फैसला किया, जहां कश्मीर के लोगों की विशेष मान्यता जुड़ी हुई है। दिए गए वीवीआईपी यात्रा मार्ग के विपरीत तुलमुल्ला के लिए सड़क पर कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं किया गया था। कुछ अधिकारियों के अनुसार, सिन्हा ने जोर देकर कहा कि वह खीर भवानी के दर्शन के बिना वापस नहीं जाएंगे।

एक अधिकारी ने कहा, "भगवान का शुक्र है, यह सब आसानी से हो गया।"

सिन्हा ने बुधवार को उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले की यात्रा की। यहां क्रेरी क्षेत्र में महज 24 घंटे पहले ही दो सैनिक, दो अर्धसैनिक बल के जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक विशेष पुलिस अधिकारी आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। इस मुठभेड़ में तीन लश्कर के आतंकवादी भी मारे गए थे। जहां मुठभेड़ हुई वह स्थान राजमार्ग से बहुत दूर नहीं है। उत्तरी कश्मीर में पिछले पांच महीनों में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच पांच बड़े आतंकी हमले और तीन बड़ी मुठभेड़ हुई हैं।

सिन्हा ने बारामूला में पूर्व विधायक जावीद हसन बेग और शोएब लोन सहित 15 जन प्रतिनिधियों के साथ मुलकात की। इसके अलावा वह बारामूला-उड़ी-मुजफ्फराबाद मार्ग पर बोनियार में पांच अन्य लोगों से भी मिले। अधिकारियों के साथ ही निवासियों ने भी प्रसन्नता व्यक्त की है कि उप-राज्यपाल ने झेलम नदी पर एक महत्वपूर्ण जेटी पुल के लिए प्रशासनिक स्वीकृति और फंड प्रदान किया है।

उपायुक्त गुलाम नबी ने कहा, "22 साल पहले सिर्फ दो आरसीसी पिलर्स का निर्माण किया गया था। यह परियोजना 2003 से ही ठंडे बस्ते में थी, क्योंकि कोई भी प्रशासनिक मंजूरी या धनराशि सरकारों द्वारा प्रदान नहीं की गई थी। हमें आज बहुत राहत मिली है।"

इसके साथ ही सिन्हा ने बारामूला में 139 करोड़ रुपये के सरकारी मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण भी किया। इसके बाद उन्होंने बोनियार में 14 करोड़ रुपये के डिग्री कॉलेज की आधारशिला रखी। उन्होंने बारामूला जिले में एक दर्जन से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है।.