कोरोना काल में केरल के एक छात्र ने ऐसा आविष्कार किया है, जो मरीजों का इलाज करते समय अस्पताल स्टॉफ को बेहद काम आने वाला है। दरअसल, केरल त्रिशूर में इंजीनियरिंग के छात्र केविन जैकब ने माइक-स्पीकर वाला अनोखा मास्क तैयार किया है। केविन ने इस डिवाइस को 3D प्रिंटर तकनीक की की मदद से बनाया है। आपको बता दें कि केविन जैकब त्रिशूर के गवर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर का छात्र है। उसका आविष्कार किया गया ये डिवाइस खूब सुर्खियां बटोर रहा है।
चूंकि महामारी के चलते अब मास्क हम सब की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। इसको ध्यान में रखते हुए केविन जैकब ने माइक और स्पीकर वाला मास्क डिजाइन किया है। केविन के पेरेंट्स डॉक्टर है। उन्हें मास्क पहने हुए अन्य लोगों से बात करने में दिक्कत महसूस होती है। ऐसे में उन्हें मास्क को नीचे करना पड़ता था। इससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ता था। वहीं जब वो ड्यूटी से घर लौटते थे, तो उनका गला बैठा होता था। मास्क और फेस शील्ड पहने होने की वजह से उन्हें ऊंचे गले से बात करनी पड़ती थी।
Kerala | Kevin Jacob, a first year B Tech student from Thrissur, has designed a mask with a mic & speaker attached to ease communication amid pandemic
"My parents are doctors & they've been struggling to communicate with their patients since the onset of COVID," he said (23.05) pic.twitter.com/pnvkhzZETt
— ANI (@ANI) May 23, 2021
माता-पिता की इसी दिक्कत को देखते हुए केविन ने मास्क से जुड़ी इस समस्या को दूर करने के लिए सोचा। केविन ने एक ऐसी डिवाइस बनाई, जो मास्क के साथ लगाने पर इंसान की आवाज को ऊंचा कर देती है। केविन ने इसके लिए ऐसा प्रोटोटाइप बनाया जो माइक्रोफोन और स्पीकर से लैस था। इस तरह की डिवाइस से लैस मास्क पहना होने पर बिना गले पर जोर डाले आवाज को ऊंचा किया जा सकता था। केविन की पहली कोशिश थी कि मास्क के लिए माइक्रोफोन और स्पीकर वजन में बहुत हल्के होने चाहिए।
केविन ने कई रिसर्च पेपर्स और यूट्यूब पर उपलब्ध वीडियो को स्टडी किया। केविन की डिवाइस में इस्तेमाल वायस एम्पलीफायर 2 सेंटीमीटर चौड़ाई और 3 सेंटीमीटर लंबाई का होता है। केविन ने ऐसे सर्किट बोर्ड्स भी बनाए जो डिवाइस को चार्ज कर सकें। केविन ने माइक और एम्पलिफायर को रखने के लिए डबल साइड वाले ठोस चुंबकों का इस्तेमाल किया। ऐसा इसलिए किया कि एम्पलीफायर को रिपेयर करने के लिए मास्क के मैटीरियल को न छेड़ना पड़े।
केविन के मुताबिक ये आसान काम नहीं था। केविन को दो डिवाइस बनानी पड़ी। पहली डिवाइस को साउंड क्वालिटी की वजह से डॉक्टरों से अच्छा रेस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद केविन ने सर्किट में कुछ बदलाव किए। साथ ही एम्पलीफायर के केस को बदला। अभी ऐसे सिंगल एम्पलीफायर के दाम 900 रुपए है। केविन के मुताबिक जब औद्योगिक उत्पादन होगा तो दाम घटकर 500 रुपए पर आ जाएंगे। केविन के माता-पिता डॉ ज्योति और डॉ सनूज अब बेटे के फाइनल प्रोटोटाइप को पहन कर हर दिन काम करते है। आपको बता दें कि गैजेट को तीस मिनट चार्ज करने के बाद लगातार चार से छह घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है।