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मोदी सरकार का किसानों को एक और तोहफा, देश में पॉपुलर हो रहे हैं वेदिक पेंट

khadi paint

केंद्र सरकार खादी प्राकृतिक को काफी प्रमोट कर रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने आपको खादी प्राकृतिक पेंट का “ब्रांड एंबेसेडर” घोषित किया है। नितिन गडकरी ने कहा कि वे इस पेंट को पूरे देश में बढ़ावा देंगे ताकि युवा उद्यमियों को गाय के गोबर से पेंट बनाने के लिए बढ़ावा दिया जा सके। नितिन गडकरी ने सोमवार को जयपुर स्थित खादी प्राकृतिक पेंट की नई ऑटोमेटिक प्लांट का उद्घाटन किया। गडकरी ने टेक्नोलॉजी में आ रहे बदलावों और उससे बढ़ी सुविधाओं की तारीफ की और कहा कि यह देश में ग्रामीण और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।

नितिन गडकरी ने 1000 लीटर खादी प्राकृतिक पेंट सप्लाई (500-500 लीटर डिस्टेंपर और इमल्शन) का आदेश भी दिया, जिसका वे नागपुर में अपने घर पर उपयोग करना चाहते हैं। नया प्लांट कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज संस्थान (केएनएचपीआई), जयपुर के परिसर में लगाया गया है, जो खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की एक इकाई है। इससे पहले प्राकृतिक पेंट का निर्माण प्रोटोटाइप परियोजना पर मैन्युअली रूप से किया जा रहा था। नया प्लांट चालू होने से प्राकृतिक पेंट की उत्पादन क्षमता दुगनी हो जाएगी। अभी प्राकृतिक पेंट का हर दिन उत्पादन 500 लीटर है, जिसे बढ़ाकर प्रतिदिन 1000 लीटर कर दिया जाएगा। इससे गोबर की मांग बढ़ेगी और किसान अपने गोबर की सप्लाई कर अच्छी कमाई कर सकते हैं।

देश में इस पेंट की बिक्री खादी ग्रामोद्योग आयोग की मदद से की जा रही है। इस पेंट की बड़ी खासियत यह है कि इसे ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने भी प्रमाणित किया है। इसमें अलग-अलग कैटगरी है। जैसे काऊ डंग पेंट यानी कि गाय के गोबर से बना पेंट जो एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और इकोफ्रेंडली पेंट है। इस पेंट से दीवार रंगते हैं तो महज 4 घंटों में ही सूख जाएगा जबकि केमिकल वाले पेंट में ठीक से सूखने में कई घंटे लगते हैं और गंध की समस्या अलग होती है। गंध की वजह से कई लोगों को एलर्जी भी हो जाती है। सबसे बड़ी बात कि इस पेंट में आप अपनी जरूरत के हिसाब से कोई और रंग भी मिला सकते हैं।

कितने रूपों में मिलेगा पेंट

यह पेंट लोगों को दो रूपों में मिलेगा। पहला, प्राकृतिक पेंट और दूसरा डिस्टेंपर पेंट और प्लास्टिक एम्युनेशन पेंट। खादी ग्रामोद्योग के मुताबिक इस पेंट में सीसा, पारा, क्रोमियम, कैडमियम आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया है। अभी इसकी पैकिंग 2 लीटर से लेकर 30 लीटर तक की तैयार की गई है। खादी ग्रामोद्योग ने कहा है कि इससे स्थानीय किसानों की आमदनी बढ़ेगी। स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिलेगा और किसान या आम लोग गोबर को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकेंगे। एक अनुमान के मुताबिक कोई किसान एक पशु से 30 हजार रुपये की कमाई कर सकता है। गौशालाओं में इससे बड़ी सुविधा मिलेगी क्योंकि वहां एकसाथ कई गाएं रखी जाती हैं। एक गाय से 30 हजार रुपये की कमाई हो तो उसे कई गायों के हिसाब से कमाई बढ़ाई जा सकती है।

सरकार की तैयारी

सरकार के मुताबिक देश में 115 जिले ऐसे हैं जो बहुत पिछड़े हुए हैं। इन जिलों में लोगों को कैसे रोजगार दिया जाए, सरकार ने इसे प्राथमिकता में रखा है। ग्रामीण उद्योग का सालाना टर्नओवर अभी 80 हजार करोड़ रुपये है जिसे सरकार कुछ वर्षों में 5 लाख करोड़ रुपये पर ले जाना चाहती है। इससे देश में नई नौकरियां पैदा करनी हैं ताकि लोग गांवों से शहर में पलायन करके नहीं आएं। आत्मनिर्भर भारत के लिए सरकार ने यही मूलमंत्र रखा है। इसमें खादी पेंट भी अपना अहम रोल निभा सकता है।