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किसान आंदोलन 2020: भीड़ में 'घुसपैठिए', किसान नेताओं की सुरक्षा को खतरा, अलर्ट पर एजेंसियां

किसान आंदोलन 2020: भीड़ में 'घुसपैठिए', किसान नेताओं की सुरक्षा को खतरा, अलर्ट पर एजेंसियां

<a href="https://en.wikipedia.org/wiki/MSP"><strong><span style="color: #000080;">एमएसपी</span></strong></a> को कानून बनाए जाने की मांग को लेकर शुरू हुआ <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/farmers-protest-2020-has-there-been-a-split-in-the-peasant-movement-19815.html"><strong><span style="color: #000080;">किसान आंदोलन</span></strong></a>  (Kisan Andolan) में घुसपैठिए घुस गए हैं। इन घुसपैठिओं की मौजूदगी से किसानों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। सुरक्षा एजेंसियों की चिंता किसान नेताओं की सुरक्षा को लेकर बढ़ी हुई है। एजेंसियों ने सरकार को आगाह किया है कि किसी भी तरह किसान आंदोलन (Kisan Andolan) जल्द ही खत्म किया जाना चाहिए। एजेंसियों ने सरकार से कहा है कि  किसानों के भेष में शामिल हुए घुसपैठिओं को ढूंढ निकालना काफी मुश्किल है। इसलिए किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को किसी भी तरह डिस्पर्स करना जरूरी है।

बताया जाता है कि एजेंसियों की चेतावनी के बाद सरकार किसानों की सात मांगों में से अधिकांश को मानने के तैयार हो गई है। सरकार ने यह संकेत भी दिए हैं कि तीनों बिलों में किसानों की मांगों के अनुरूप संशोधन भी किया जा सकता है। सरकार के झुकने के बाद मामला सुलझता नजर आ रहा था कि कुछ किसान नेता इस बात पर अड़ गए हैं कि अब तो तीनों कानूनों को रद्द करने के बाद ही आंदोलन को खत्म किया जाएगा। पहले तो माना जा रहा था कि किसान आंदोलन खुद कर रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है राजनीति सामने आ रही है।

किसान आंदोलन के बहाने सरकार विरोधी राजनीतिक दल एक मंच पर आने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी की ओर से कहा गया है कि इन राजनीतिक दलों का सिर्फ एक मकसद है कि किसी तरह सरकार को कमजोर किया जाए। किसान आंदोलन के बहाने सरकार विरोधी मंच बनाने की कोशिश कर दलों को किसानों की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस, एमएसपी और मण्डी समिति के मुद्दे पर किसानों के साथ पहले ही धोखा कर चुकी है। पिछले 73 साल में पहली बार एनडीए सरकार ने किसानों को संवैधानिक अधिकार दिए हैं। किसानों को इन अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बजाए भ्रम फैलाया जा रहा हैष.