प्रधानमंत्री मोदी और किसानों के बीच होने वाले सीधे संवाद से क्या किसान आंदोलन का हल निकलने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी पहले भी किसानों से मन की बात कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी छह राज्यों के किसानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्य से बात करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी का मकसद किसानों में फैली भ्रांतियों को दूर करना है। ऐसा माना जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की जयंती पर किसानों के साथ पीएम मोदी के अलावा बीजेपी के कई अन्य बड़े नेता देश के अलग-अलग स्थानों पर किसानों के साथ होंगे। ऐसा माना जा रहा है कि धरने पर बैठे किसानों को भी प्रधानमंत्री मोदी की ओर कोई विशेष संदेश भेजा सकता है।
इधर, सरकार ने एक बार फिर उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही उनसे तारीख व समय भी पूछा है। सरकार की ओर से भेजे गए नए पत्र पर मंथन के लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बैठक बुलाई है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले ही 40 किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन के लिए बैठे किसानों ने सरकार के नए पत्र पर मंथन के लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक बुलाई है। इस बैठक में ही आगे को लेकर रणनीति तय होगी। एक किसान संगठन के नेता ने कहा कि सरकार को क्या जवाब देना है, इसका आखिरी फैसला तो संयुक्त मोर्चा की बैठक में होगा लेकिन सरकार के पत्र में भी कुछ भी नया और ठोस नहीं है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं को पत्र लिखकर उन्हें बातचीत के लिए फिर से आमंत्रित किया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित किसी भी नई मांग को अजेंडे में शामिल करना 'तार्किक' नहीं होगा क्योंकि नए कृषि कानूनों से इसका कोई संबंध नहीं है। सरकार का पत्र संयुक्त किसान मोर्चे के 23 दिसंबर के उस पत्र के जवाब में आया है, जिसमें कहा गया है कि यदि सरकार संशोधन संबंधी खारिज किए जा चुके बेकार के प्रस्तावों को दोहराने की जगह लिखित में कोई ठोस प्रस्ताव लाती है, तो किसान संगठन वार्ता के लिए तैयार हैं।.