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Kisan Andolan Varta: आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार ने कसी कमर, मामला आर या पार!

Kisan Andolan Varta: आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार ने कसी कमर, मामला आर या पार!

आंदोलनकारियों के साथ सरकार की आज होने वाली वार्ता को आखिरी दौर की वार्ता (Kisan Andolan Varta) माना जा रहा है। सराकर ने आंदोलन खत्म करने के लिए सारे प्रयास शुरू कर दिए हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को मोर्चे पर लगाने की भी योजना है। इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय भी लगातार सक्रिए है। आंदोलनकारियों को एमएसपी पर लिखित आश्वासन दिया जा सकता है इसके अलावा कानूनों में संशोधन के लिए एक विशेष समिति के गठन का मसौदा भी मीटिंग में रखा जा सकता है। ऐसा बताया जा रहा है कि सराकर ने यह तैयारी आंदोलनकारियों के नेताओं से बैक डोर वार्ता के जरिए मिले आश्वासन के बाद की है।

किसान संगठनों के साथ बैठक से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सक्रिय है। पीएमओ ने आज होने वाली बैठक को लेकर संबंधित मंत्रियों से फीडबैक लिया है। वहीं प्रस्तावित बातचीत से पहले केंद्र सरकार पूरी तरह सतर्क होकर आगे की रणनीति पर काम कर रही है।

सराकर भी यह मानकर चल रही है कि किसानों के साथ गतिरोध इतनी आसानी से खत्म नहीं होने वाला है। इसलिए आज होने वाली (Kisan Andolan Varta) वार्ता में सरकार बीच का रास्ता निकालने के लिए कोई फॉर्म्युला पेश कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार एमएसपी पर लिखित भरोसा देने के विकल्प पर विचार कर रही है। वहीं, कानून को रद्द करने के मुद्दे पर सरकार कानूनों की समीक्षा के लिए कमिटी बनाने का प्रस्ताव दे सकती है। इस कमिटी में किसान संगठनों को ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।

किसान आंदोलन को खत्म करने में जुटी केंद्र सरकार के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संकटमोचक की भूमिका निभा सकते हैं। किसानों के बीच राजनाथ सिंह की अच्छी छवि का फायदा सरकार भी उठाना चाहती है। इसलिए, रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राजनाथ सिंह के साथ बैठक की और इस संकट के यथाशीघ्र समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि तोमर ने सिंह के साथ इस संकट के समाधान के लिए बीच का रास्ता ढूंढने के लिए सभी संभावित विकल्पों पर चर्चा की।

पिछले 40 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर कड़ाके की ठंड और अब बारिश के बाद भी टिके प्रदर्शनकारी किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप प्रदान करने की उनकी दो बड़ी मांगें सरकार चार जनवरी की बैठक में नहीं मानती है तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे।.