किसानों के 29 तारीख को सुबह 11 बजे वार्ता का प्रस्ताव दिए जाने पर सरकार को आज जवाब देना था। लेकिन आधा दिन बीत जाने के बावजूद सरकार की ओर से कोई जवाब न आने से किसान संगठनों की धुकधुकी बढ़ी हुई है। उधर पंजाब में मोबाल टॉवर तोड़े जाने की घटना से तनाव बढ़ रहा है।
हालांकि दो दिन से साहबजादों के शहीदी दिवस समारोह के कारण अधिकांश लोग व्यस्त हैं लेकिन फ्रंट पर रहने वाले नेताओं के चेहरों पर हवाईयां उड़ती नजर आ रही थीं। प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद कृषि मंत्रालय से वार्ता का प्रस्ताव आया था। जिस पर आंदोलनकारियों की ओर से सशर्त वार्ता का पत्र भेजा गया था।
इस पत्र को मीडिया के सामने पढ़ते हुए स्वाराज्य इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा था, “हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर ये प्रस्ताव रख रहे हैं कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए।
भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता टिकैत ने हालांकि कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
किसानों ने वार्ता बैठक के एजेंडा 4 बिंदू रखे हैं। किसानों ने रखा है जिसमें पहला, तीनों कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि। वहीं दूसरा सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान हों।
तीसरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं। चौथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए ‘विद्युत संशोधन विधेयक 2020’ के मसौदे में जरूरी बदलाव शामिल किए जाएं।
इन चार में से तीन प्रस्तावों पर सरकार पहले भी अपनी सहमति दे चुकी है, लेकिन पहले प्रस्ताव पर गतिरोध है। इसीलिए सरकार की ओर से अभी तक चुप्पी साधी हुई है। हालांकि किसान नेताओँ ने कहा कि वो लोग आखिरी समय तक सरकार का इंतजार करेंगे। अगर वार्ता नहीं भी होती है तो भी उनके आंदोलन का अगला चरण तो पहले घोषित है उसी अनुरूप काम किया जाएगा।.