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धनतेरसः जानिए कब से कब तक है पूजा का शुभ मुहूर्त

धनतेरसः जानिए कब से कब तक है पूजा का शुभ मुहूर्त

धनतेरस (Dhanteras-2020) के साथ ही प्रकाशपर्व दीपावली की शुरुआत हो जाती है। धनतेरस पर्व पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है। विशेषकर पीतल व चांदी के बर्तन खरीदने का रिवाज है। मान्यता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उसमें लाभ होता है। धन संपदा में वृद्धि होती है। इसलिये इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धन्वंतरि भी इसी दिन अवतरित हुए थे इसी कारण इसे धन तेरस कहा जाता है। समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए चौदह रत्नों में धन्वन्तरि व माता लक्ष्मी शामिल हैं।

<strong>पीतल के बर्तन से प्रसन्न होंगे धनवंतरी</strong>

समुद्र मंथन से धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था| भगवान धन्वन्तरी कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है| <strong>विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदना चाहिए,  क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का धातु है|</strong> इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ होता है|

<b>एक दीपक से निरोग रहेगा परिवार</b>

धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दिया जलाया जाता है। इसके पिछे की कहानी कुछ यूं है। एक दिन दूत ने बातों ही बातों में यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यमदेव ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती| इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं| फलस्वरूप उपासक और उसके परिवार को मृत्युदेव यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है| विशेषरूप से यदि घर की लक्ष्मी इस दिन दीपदान करें तो पूरा परिवार स्वस्थ रहता है|

<b>प्रदोष काल में पूजा का विधान </b>

संध्याकाल (प्रोदष काल) में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है|  पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धन्वन्तरि की मूर्ति स्थापना कर उनकी पूजा करनी चाहिए| इनके साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की पूजा का विधान है| ऐसी मान्‍यता है कि भगवान कुबेर को सफेद मिठाई, जबकि धनवंतरि‍ को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए | क्योंकि धन्वन्तरि को पीली वस्तु अधिक प्रिय है|  पूजा में फूल, फल, चावल, रोली, चंदन, धूप व दीप का इस्तेमाल करना फलदायक होता है| धनतेरस के अवसर पर यमदेव के नाम से एक दीपक निकालने की भी प्रथा है| दीप जलाकर श्रद्धाभाव से यमराज को नमन करना चाहिए|
<h3 class="top30 display-3">धनतेरस पर्व तिथि व मुहूर्त</h3>
<ul>
<li class="top30 display-3">धनतेरस तिथि – शुक्रवार, 13 नवंबर 2020</li>
<li class="top30 display-3">धनतेरस पूजन मुर्हुत – शाम 05:25  बजे से शाम 05:59 बजे तक</li>
<li class="top30 display-3">प्रदोष काल – शाम 05:25 से रात 08:06  बजे तक</li>
<li class="top30 display-3">वृषभ काल –  शाम 05:33 से शाम 07:29 बजे तक</li>
<li class="top30 display-3">त्रयोदशी तिथि प्रारंभ – रात 09:30 बजे (12 नवंबर 2020) से</li>
<li class="top30 display-3">त्रयोदशी तिथि समाप्त – शाम 05:59 बजे (13 नवंबर 2020)  तक</li>
</ul>
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