भारत से बार-बार वार्ता के लिए गिड़गिड़ा रहे चीन के विदेश मंत्री वांग यी का जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से सामना हुआ तो उनकी बोलती बंद हो गयी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि एलएसी पर भारतीय सेना ने तो सभी समझौतों का पालन किया लेकिन आपकी (चीन की) सेना ने क्या किया तो चीनी खेमे में सन्नाटा छा गया। चीनी विदेश मंत्री वांग यी के पास कोई जवाब नहीं था। उन्होंने चुप्पी साध ली और आंखें नीची कर लीं।
ध्यान रहे, मॉस्को में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ 2 घंटे से ज्यादा वक्त तक बैठक चली। बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन विदेश मंत्री को कहा कि सीमा पर यथास्थिति में किसी भी तरह के बदलाव की कोशिश नहीं होनी चाहिए। जयशंकर ने वांग यी से साफ-साफ कहा कि सीमा से जुड़े सभी समझौतों का पूरी तरह पालन हो। बैठक में दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि मतभेद को विवाद में नहीं बदलने चाहिए।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हैकि 'दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि सीमा पर वर्तमान स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। साथ ही दोनों देशों के जवानों के बीच बातचीत जारी रखने, तुरंत पीछे हटने और तनाव कम करने को लेकर सहमति बनी।'
भारतीय और चीनी विदेश मंत्री इस बात पर भी सहमत हुए कि दोनों पक्षों को सभी समझौतों और प्रोटोकॉल्स का पालन करना चाहिए। क्षेत्र में शांति पर बरकरार रखने और तनाव बढ़ाने वाले कदम उठाने से बचना होगा।' विदेश मंत्रालय ने बताया कि मॉस्को में हुई इस बैठक में स्पेशल रिप्रजेंटेटिव मेकनिजम के जरिए बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी है। भारत-चीन के सीमा के मुद्दे पर वर्किंग मेकनिजम फॉर कंस्लटेशन ऐंड कोऑर्डिनेशन की बैठक जारी रहेगी।
चीनी विदेश मंत्री को यह बताया गया कि भारतीय जवानों ने तनाव दौरान भी सीमा से जुड़े सभी समझौतों का पालन किया है। इस द्विपक्षीय बातचीत में भारतीय पक्ष ने एलएसी के पास भारी संख्या में चीनी सैनिक और उपकरणों की तैनाती पर सवाल उठाए। भारत की ओर से कहा गया कि ऐसे कदम साल 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन हैं। चीनी पक्ष भारत की इस आपत्ति का कोई जवाब नहीं दे पाया।.