भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चल रहा सीमा गतिरोध अब समाप्त होता दिख रहा है। दोनों देशों ने सेनाओं को वापस बुला लिया गया है। इसके साथ ही भारत और चीन की सेना के द्वारा बनाए गए सभी अस्थायी और उससे संबंधित अन्य ढांचों को ध्वस्त कर दिया गया है और उसे पारस्परिक रूप से स्तयापित भी किया गया है।
भारतीय सेना की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि, समझौते के तहत LAC के इस इलाके की सख्ती से निगरानी की जाएगी और दोनों पक्ष इसका सम्मान करेंगे। यथास्थिति को एकतरफा नहीं बदला जाएगा। इसके आगे सेना ने कहा है कि, इसके साथ ही एक और संवेदनशील इलाके में टकराव खत्म कर दिया गया है। दोनों पक्षों ने बातचीत को आगे बढ़ाने और वेस्टर्न सेक्टर में एलएसी के बाकी मुद्दों को सुलझाने की प्रतिबद्धता जताई है। बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना और आईटीबीपी देश की संप्रभुता और एलएसी पर शांति बाली के लिए प्रतिबद्ध है।
हाल ही में भारत और चीन के बीच मोल्डो में हुई 12वें दौर की बातचीत में दोनों देश पेट्रोल प्वाइंट 17A से सैनिकों को हटाने पर सहमत हुए थे, जो पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों के बीच फ्रिक्शन प्वाइंट में से एक है। 12वें दौर की वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच पीपी-17A जिसे गोगरा भी कहा जाता है, से पीछे हटने का समझौता हुआ था। दोनों पक्षों के बीच अंतिम अलगाव इस साल फरवरी में हुआ था अब वे पैंगोंग झील के किनारे से अलग हो गए थे।
भारतीय विदेश मंत्री एस, जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी रहना, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। दोनों देशों के विधे मंत्रियों के बीच 14 जुलाई को तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) सम्मेलन से इतर करीब एक घंटे लंभी बातचीत हुई थी।