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'कश्मीर की 90 फीसद जमीन पर सिर्फ कश्मीरियों का हक, बाहरी न खरीद सकता न आंख उठाकर देख सकता'

'कश्मीर की 90 फीसद जमीन पर सिर्फ कश्मीरियों का हक, बाहरी न खरीद सकता न आंख उठाकर देख सकता'

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल ने बहुत बड़ा खुलासा किया है। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि कश्मीरियों के हक पर डाका डालने या उनकी जमीन को कब्जाने की जुर्रत कोई नहीं कर सकता। भारत के संविधान ने कश्मीरियों को खास अधिकार दिया है। उनकी जमीनों को खरीदना तो दूर, जम्मू-कश्मीर से बाहर को कोई भी शख्स कश्मीरियों की जमीनों की ओर आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। ध्यान रहे, जम्मू-कश्मीर में 90 फीसदी जमीन खेतिहर (कृषि भूमि) जमीन है। सरकार ने बाहरी लोगों को कश्मीरियों की कृषि भूमि बेचने पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसलिए इस जमीन की न रजिस्ट्री करवाई जा सकती है और न ही किसी बाहरी व्यक्ति मुख्त्यार नामा ( पॉवर ऑफ एटॉर्नी) ही लिखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जो लोग डेमोग्राफिक चेंज जैसी भ्रामक बातें फैला रहे हैं उन्हें पहले संविधान के प्रावधानों को ध्यान से पढ़ना और समझना चाहिए।

<strong>मनोज सिन्हा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के कानूनों में चल रहे संशोधन के दौरान बाहरियों के यहां की जमीन खरीद लेने का जो डर पैदा किया गया था वो काल्पनिक था। इसका कोई इलाज नहीं है।  5 अगस्त 2019 के बाद का कोई एक उदाहरण ऐसा नहीं है जिसमें किसी बाहरी व्यक्ति ने यहां की जमीन खरीदी हो। </strong>
<h3>परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में होंगे चुनाव</h3>
ऐसा देखा गया है कि कुछ राजनेता राज्य के विधानसभा चुनावों को ठण्डे बस्ते में डाल देना चाहते हैं। जबकि यहां के लोगों ने डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल (DDC) के चुनावों मे भारी मतदान करके जाहिर कर दिया है कि राज्य के विधान सभा चुनाव शीघ्र करवाए जाएं। डीडीसीए चुनावों में स्थानीय लोगों की रुचि को देखकर लगता है कि अब यहां विधानसभा चुनावों को रोकने का कोई कारण नहीं है। जनता इच्छा पर  राज्य में विधान सभा चुनाव होने ही चाहिए।.